27 साल के हार्दिक, 16 माह में कांग्रेस के प्राथमिक सदस्य से बने कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष

हार्दिक के पिता एक जमाने में बीजेपी के कार्यकर्ता हुआ करते थे. साल 2004 में हार्दिक पटेल के पिता विरामगाम शहर में बस गए. हार्दिक ने यहीं से बारहवीं तक की पढ़ाई की. बाद में अहमदाबाद के सहजनवां कॉलेज से बी कॉम की डिग्री हासिल की.

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हार्दिक ने ऐसे शुरू किया राजानीतिक सफर (फाइल फोटो) हार्दिक ने ऐसे शुरू किया राजानीतिक सफर (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 10:49 PM IST

  • पाटीदार आंदोलन से मिली हार्दिक को पहचान
  • सहजनवां कॉलेज से छात्र राजनीति की शुरुआत

पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को गुजरात कांग्रेस का वर्किंग प्रसिडेंट नियुक्त किया गया है. 20 जुलाई 1993 को को गुजरात में जन्मे हार्दिक, पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान काफी चर्चित हुए थे. हार्दिक 2019 लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हुए थे.

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यहां आपको बता दें कि हार्दिक 12 मार्च 2019 को कांग्रेस के सदस्य बने थे. यानी महज 16 महीनों में ही हार्दिक ने पार्टी के प्राथमिक सदस्य से लेकर कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष का सफर तय कर लिया. ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने शनिवार को विज्ञप्ति जारी करते हुए लिखा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हार्दिक पटेल के गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है.

27 साल के हार्दिक के पिता एक जमाने में बीजेपी के कार्यकर्ता हुआ करते थे. साल 2004 में हार्दिक पटेल के पिता विरामगाम शहर में बस गए. हार्दिक ने यहीं से बारहवीं तक की पढ़ाई की. बाद में अहमदाबाद के सहजनवां कॉलेज से बी कॉम की डिग्री हासिल की थी. हार्दिक ने इसी कॉलेज से छात्र राजनीति की शुरुआत की थी.

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वो छात्रसंघ के चुनाव में महासचिव पद के लिए लड़े और निर्विरोध जीते. इस दौरान हार्दिक पटेल ने विरामगाम में कई सामाजिक कार्य भी किए. 31 अक्टूबर 2012 को हार्दिक पटेल, पाटीदारों के युवा संगठन सरदार पटेल ग्रुप (SPG) में शामिल हुए और एक महीने से भी कम समय में वीरमगाम इकाई के अध्यक्ष बन गए.

हार्दिक ने कॉलेज के दौरान देखा कि आर्थिक रूप से संपन्न पाटीदार युवाओं को सरकारी नौकरिंया नहीं मिल पा रही है. पटेल, इसके लिए आरक्षण को जिम्मेदार मानते थे. गुजरात में पाटीदारों की जमीनों का भी बड़े पैमाने पर अधिग्रहण हुआ, लेकिन उन्हें नौकरियां नहीं दी गईं.

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इन सब मुद्दों को लेकर सरकार से नाराजगी व्यक्त करते हुए और पाटीदार समुदाय के लिए अलग से आरक्षण की मांग को लेकर हार्दिक ने लंबा आंदोलन चलाया. इसी आंदोलन के बाद से हार्दिक को राष्ट्रीय पटल पर पहचान मिली.

हालांकि, 2015 में लालजी पटेल के साथ हुए विवाद के बाद हार्दिक को SPG से हटा दिया गया. इसी साल जुलाई महीने में हार्दिक पटेल की बहन मोनिका को राज्य सरकार की छात्रवृत्ति नहीं मिली, जबकि उससे कम नंबर पाने वाली ओबीसी कोटे की एक सहेली को छात्रवृत्ति मिल गई. इस घटना से नाराज हार्दिक ने पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (PAAS) का गठन किया और पाटीदारों के आरक्षण के लिए आंदोलन शुरू किया. हार्दिक पटेल ने 25 अगस्त 2015 को अहमदाबाद में एक बड़ी रैली कर पूरे प्रदेश के सामने अपनी ताकत दिखाई. इस दिन को पाटीदार क्रांति दिवस के रूप में भी घोषित किया गया.

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अहमदाबाद सिटी पुलिस ने उसी शाम हार्दिक को गिरफ्तार किया, तब वह भूख हड़ताल पर बैठे थे. इसके बाद हिंसा भड़क उठी और मजबूरन गुजरात सरकार को सेना बुलाना पड़ा. 9 सितंबर 2015 को हार्दिक पटेल ने पटेल नवनिर्माण सेना (PNS) का गठन किया. इसका मकसद पाटीदारों, गुर्जरों समेत कई जातियों को आरक्षण दिलाना था.

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