गुजरात सरकार ने पाटीदार आंदोलन के दौरान दर्ज हुए 10 केस वापस लेने का फैसला किया है. इन 10 केसों में अहमदाबाद के कृष्णनगर के दो केस, नारोल का एक केस, रामोल का एक केस और बापू नगर का एक केस शामिल है. साथ ही इनमें कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल के खिलाफ दर्ज केस भी शामिल है.
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की सरकार ने साल 2015 से 2016 के बीच चले पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए मामलों में से 10 को वापस लेने का फैसला किया है. पिछले चार साल से सरकार ये कह रही थी कि पाटीदार आंदोलन के केस वापस लिए गए हैं. हालांकि हार्दिक पटेल और उनके साथियों का कहना है कि ये वे केस हैं जिन्हें वापस लेने की घोषणा आनंदीबेन ने मुख्यमंत्री रहते हुए की थी. अब चार साल बाद इन्हें वापस लिया गया है.
जबकि हार्दिक पटेल और उनके साथी, जो 120 केस वापस लेने के लिए कह रहे हैं उसमें कोई बदलाव नहीं है. इस आंदोलन में हार्दिक पटेल के पूर्व साथी रहे दिनेश बामणिया का कहना है कि, 144 केस अभी भी पाटीदारों पर दर्ज हैं, जिन्हें वापस लेना बाकी है. सरकार ने और गृहविभाग ने हमसे जब भी जानकारी मांगी है, हमने उसे दिया है.
हार्दिक पटेल का कहना है कि यह वे केस हैं जिनकी घोषणा आंनदी बेन ने की थी. लेकिन सरकार हर बार वादा करती है, लेकिन पांच साल हो चुके हैं, अब भी 144 केस वापस नहीं लिए गए हैं. उन्होंने सरकार से बाकी 144 केसों को भी जल्द वापस लेने के लिए कहा है.
गोपी घांघर