लापरवाही किसी की, परेशानी किसी और को झेलनी पड़ रही है. लापरवाही का असर इस कदर है कि एक बच्ची के 4 माता-पिता होने के बावजूद वह अनाथ आश्रम में रहने को मजबूर हैं. अब जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता तब बच्ची अनाथ आश्रम में अनाथ की तरह रहेगी.
मामला अहमदाबाद का है जहां कमलजीत और उनकी वकील पत्नी शिबा इन दिनों कोर्ट और चाल्ड वेलफेयर हाउस लुधियाना के चक्कर काट रहे हैं. पेशे से वकील शिबा और उनके पति कमलजीत की अपनी एक बेटी है और वो चाहते थे कि उनकी बेटी अब बड़ी हो गई है तो किसी एक बच्ची को गोद ले लिया जाए जिससे एक बेसहारा की जिंदगी भी संवर जाए और खुद की जिंदगी में भी एक बच्चे के होने से रौनक लौट आए.
पंजाब से लिया बच्ची को लिया गोद
हालांकि उन्हें नहीं मालूम था कि जिस बच्ची की जिंदगी को संवारने के मकसद से चाइल्ड अडोपशन एंड रिसोर्स एजेंसी (CARA) का सहारा लिया उसी एजेंसी की वजह से 11 साल की बच्ची की जिंदगी में भूचाल आ जाएगा और उस बच्ची की जिंदगी और उनकी खुद की जिंदगी में परेशानी आ जाएगी.
कमलजीत और सीबा ने चाइल्ड अडोपशन एंड रिसोर्स एजेंसी (CARA) में जुलाई 2018 में एक फॉर्म भरा जिसमें उन्होंने एक बच्चे को गोद लेने के लिए अहमदाबाद के अलावा पंजाब और मध्य प्रदेश को पसंद किया. कुछ दिनों के इंतजार के बाद उन्हें फोन आया और वो पंजाब से एक बच्ची को गोद लेकर अहमदाबाद लौट आए. उन्होंने बच्ची को अहमदाबाद के एक निजी स्कूल में दाखिला दिला दिया और वहीं पर उसकी पढ़ाई शुरू हो गई.
महज 6 महीने के अंदर ही बच्ची ने उन्हें बताया कि उसके माता-पिता अभी जिंदा हैं और उन्होंने उसे छोड़ा नहीं है, लेकिन वह अपने माता-पिता से गुम हो गई थी. पूछने पर उसने अपने माता-पिता का पता भी बता दिया. कमलजीत और उसकी पत्नी शिबा इस खुलासे से सकते में आ गए.
बच्ची के खुलासे से सकते में माता-पिता
कमलजीत और शिबा ने लुधियाना में इस संबंध में पता करवाया तो जानकारी सामने आई कि बच्ची के माता-पिता जिंदा हैं और वो उसी जगह काम कर रहे हैं जहां का पता बच्ची ने बताया था.
खास बात यह रही कि बच्ची बालगृह में आने से पहले अपने परिवार से बिछड़ गई थी. कुछ दिन पहले ही उसके परिजनों ने बेटी की गुमशुदगी की शिकायत भी दर्ज करवाई थी. शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद भी पुलिस ने बालगृह में इस संबंध में न कोई पूछताछ की और न ही परिजनों ने ऐसी कोई जानकारी पुलिस को दी. इस बीच गुजरात से आया परिवार इस बच्ची को अनाथ समझकर अपना लिया. दूसरी ओर पंजाब में गायब बच्ची के परिजन उसकी तलाश में जुटे रहे.
पूरी जानकारी मिलने पर कमलजीत और शिबा ने तय किया कि गोद ली बच्ची को उसके अपने परिजनों को सौंप दिया जाए. इस कारण जब वह बालगृह में बच्ची को छोड़ने गए तो पता चला कि बच्ची लौटाने की प्रक्रिया बेहद कठिन है. चूंकि बच्ची को कानूनी प्रक्रिया के तहत गोद लिया गया था तो आगे की कार्रवाई के लिए कानूनी प्रक्रिया का इस्तेमाल करना होगा.
कानूनी कार्रवाई की मांग
बच्ची को गोद लेने वाली शिबा का कहना है कि बच्ची को कानूनी तौर पर गोद लेने के बाद उसके माता-पिता के रूप में उनका नाम आ गया है और अब उसके असली माता-पिता को बच्ची सौंपनी है तो उसके लिए भी कानूनी प्रकिया के जरिए रद कराना पड़ेगा. इसके लिए कोर्ट का आदेश जरूरी है.
अब जब तक कोर्ट का आदेश नहीं आ जाता तब तक बच्ची बालगृह में ही रहेगी. शिबा जो खुद पेशे से वकील है. उनका कहना है कि वो खुद कई बार चाल्ड वेलफेयर हाउस लुधियाना के संपर्क में है जिससे बच्ची जल्द से जल्द अपने असली माता-पिता के पास पहुंच जाए. हालांकि यह चाल्ड वेलफेयर हाउस पूरे मसले पर बेहद सुस्ती दिखा रही है. शिबा की मांग है कि उसकी भावनाओं के साथ चाल्ड वेलफेयर हाउस के जरिए खेला गया, वो तो बच्ची को गोद लेकर उसे अच्छी जिंदगी देना चाहती थी, लेकिन कहीं ना नहीं इस मामले में चाल्ड वेलफेयर हाउस के जरिए लापरवाही बरती गई तो उसके खिलाफ भी जांच होनी चाहिए.
गोपी घांघर