गाय-गोहरी उत्सव पर गाय-बैलों का झुंड शरीर पर दौड़ाकर मांगते हैं मन्नत

गाय-गोहरी उत्सव से पहले भव्य पूजा होती है. इसके बाद सभी जानवरों को रंग और मोर के पंखों से सजाया जाता है. जानवरों के पैर में घंटियां बांधी जाती हैं. बरसों से चली आ रही इस परंपरा में जान जाने का भी खतरा बना रहता है.

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aajtak.in

  • दाहोद ,
  • 28 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 7:34 PM IST

  • गुजरात के दाहोद में मनाया गाय-गोहरी उत्सव
  • इस दिन को हिंदू नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है

गुजरात के दाहोद जिले में सोमवार को गाय-गोहरी उत्सव मनाया गया. यहां के स्थानीय लोग हर साल दिवाली के बाद ये उत्सव मनाते हैं. आदिवासी बहुल क्षेत्र में इस उत्सव को मानने का एक अलग ही रिवाज है. लोग सड़कों पर लेटकर गायों और बैलों को अपने ऊपर दौड़ाते हैं और मन्नत मांगते हैं. इस दिन को हिंदू नववर्ष के रूप में भी माना जाता है.

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इस उत्सव से पहले भव्य पूजा होती है. इसके बाद सभी जानवारों को रंग और मोर के पंखों से सजाया जाता है. जानवरों के पैर में घंटियां बांधी जाती हैं. बरसों से चली आ रही इस परंपरा में जान जाने का भी खतरा बना रहता है, लेकिन यहां के स्थानीय लोग हर साल इस उत्सव का भव्य आयोजन करते हैं. लोग सड़कों पर लेट जाते हैं और गायों और बैलों को अपने ऊपर दौड़ाते हैं. इस परंपरा को निभाने का मकसद अपने देवता को खुश करना होता है.

एएनआई की ओर से जारी किए गए वीडियो में आप गाय-गोहरी उत्सव का नजारा देख सकते हैं. इस वीडियो में ग्रामीण सड़कों पर लेटे हुए हैं और उनके ऊपर से गाय और बैल जैसे जानवर झुंड में गुजर रहे हैं. इस दौरान जान का भी खतरा बना रहता है, लेकिन आस्था और परंपरा के लिए ये उत्सह हर साल यहां आयोजित होता है.

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