गुजरात में अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने हाल ही में एक अजीबो-गरीब फरमान जारी किया था. इसके तहत पब्लिक प्लेस में अंडे और नॉनवेज के ठेलों पर बैन लगाने की बात कही गई थी. इसका स्थानीय स्तर पर जमकर विरोध हुआ, लिहाजा स्ट्रीट वेन्डर एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की. गुरुवार को कोर्ट ने कोर्ट ने कहा कि लोग क्या खाएंगे ये प्रशासन कैसे तय कर सकता है.
बता दें कि अहमदाबाद, राजकोट, भावनगर, वडोदरा और जूनागढ़ म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने गुजरात में पब्लिक प्लेस में मिलने वाले अंडे और नॉनवेज के ठेलों पर बैन लगा दिया था. इसके बाद स्ट्रीट वेंडर एसोसिएशन ने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका कर गुहार लगाई थी. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के अधिकारियों को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि इंसान जब घर से बाहर जाता है, तो वो क्या खाएगा, वो म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन कैसे तय कर सकता है.
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि इंसान क्या खाता है, क्या पीता है, ये उसकी खुद की पसंद पर निर्भर करता है. इंसान के खाने-पीने की पंसद को सत्ता के विचार से नहीं जोड़ा जा सकता है. प्रशासन की मर्जी के मुताबिक वो लोगों को परेशान करे, ये नहीं चल सकता. इस मामले में तुरंत अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन को नोटिस जारी कर जवाब देने के लिए तलब किया गया.
आनन-फानन में कॉर्पोरेशन के अधिकारी कोर्ट में पहुंचे. सुनवाई में कॉर्पोरेशन ने कहा कि इस ड्राइव का मकसद सिर्फ अतिक्रमण हटाना था. किसी को परेशान करने का इसका कोई मकसद नहीं था. हाईकोर्ट में अहमदाबाद के स्ट्रीट वेंडर ने स्ट्रीट वेन्डर एक्ट 2014 के तहत कार्रवाई ना होने का भी आरोप लगाया है. स्ट्रीट वेंडर की और से दलील पेश की गई कि किसी भी तरह का प्रायोर नोटिस दिए बिना कॉर्पोरेशन कार्रवाई करता है.
गोपी घांघर