सूरत: कुदरती हवा से 24 घंटे में 3 टन तक मेडिकल ऑक्सीजन, कोविड वार्ड में हो रही सप्लाई

सूरत के न्यू सिविल अस्पताल में लगाए गए इस प्लांट में प्राकृति हवा को कम्प्रेशर से टैंक में भरा जाता है. उसके बाद इसमें अन्य तत्व निकालने के लिए हवा को फिल्टर करते हैं. इसमें दूसरे तत्व अलग हो जाते हैं और प्योर ऑक्सीजन को एक अलग टैंक में स्टोर कर लिया जाता है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर ( फोटो-पीटीआई) प्रतीकात्मक तस्वीर ( फोटो-पीटीआई)

गोपी घांघर

  • सूरत,
  • 23 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 11:42 PM IST
  • कुदरती हवा से 2 से 3 टन मेडिकल ऑक्सीजन
  • सूरत में लगाया गया नया प्लांट
  • 100 कोविड मरीजों का इलाज संभव

कोरोना वायरस की दूसरी लहर में संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. कोरोना मरीजों से सरकारी और निजी अस्पताल लगभग फुल हो गए हैं. ऐसे में ऑक्सीजन की किल्लत हो रही है. सूरत शहर के न्यू सिविल अस्पताल में कोरोना महामारी की परिस्थिति में प्रतिदिन 55 से 60 टन ऑक्सीजन की खपत हो रही है. बढ़ती मांग को देखते हुए अब कुदरती हवा से भी मेडिकल ऑक्सीजन बनाने की तैयारी है. इस नई तकनीक के जरिए एक बार में 100 कोरोना मरीजों को फायदा पहुंचया जा सकता है.

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कुदरती हवा से बनेगी 2 से 3 टन मेडिकल ऑक्सीजन

केन्द्र सरकार ने देश के अलग-अलग राज्यों में जन स्वास्थ्य केन्द्र पर 162 स्विंग एडजॉर्पशन प्लांट को मंजूरी दी है. सिविल परिसर में नर्सिंग कॉलेज और सेंट्रल मेडिकल स्टोर के पास स्विंग एडजॉर्पशन प्लांट कार्यरत किया गया है जो 24 घंटे में कुदरती हवा से 2 से 3 टन मेडिकल ऑक्सीजन तैयार कर रहा है. इस ऑक्सीजन की सीधी सप्लाई कोविड वार्ड में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों को की जा रही है.

गर्वमेंट मेडिकल कॉलेज में सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और कोविड-19 हॉस्पिटल के इंचार्ज डॉ. निमेष वर्मा ने बताया कि 3-4 माह पहले केन्द्र सरकार से निर्देश आए थे. इसके बाद प्लांट को इंस्टॉल करने के लिए टैंक समेत अन्य सामग्री की सप्लाई आई. इसके बाद पीआईयू ने स्ट्रक्चर बनाया और अब स्विंग एडजॉर्पशन प्लांट पूरी तरह से तैयार हो गया है.

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कैसे काम करती है नई मशीन?

ये नई मशीन किस तरह से काम करती है, इस पर भी विस्तार से बताया गया है. सूरत के न्यू सिविल अस्पताल में लगाए गए इस प्लांट में प्राकृति हवा को कम्प्रेशर से टैंक में भरा जाता है. उसके बाद इसमें अन्य तत्व निकालने के लिए हवा को फिल्टर करते हैं. इसमें दूसरे तत्व अलग हो जाते हैं और प्योर ऑक्सीजन को एक अलग टैंक में स्टोर कर लिया जाता है. फिर पाइपलाइन के जरिए मरीजों तक ऑक्सीजन को पहुंचाया जाता है. 24 घंटे में हवा से तैयार होने वाले मेडिकल ऑक्सीजन से 100 मरीजों का इलाज किया जा सकता है.

कोरोना काल में जब देश ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है, जब हर राज्य में मरीजों को दर-दर भटकना पड़ रहा है, उस बीच सूरत में लगाया गया ये नया प्लान्ट उम्मीद की नई किरण जगाता है.  सिर्फ यहीं नहीं, इस नई तकनीक की वजह से लिक्विड ऑक्सीजन पर भी निर्भरता कम हो पाएगी और जरूरमंद मरीजों को समय रहते ऑक्सीजन की आपूर्ति हो जाएगी.

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