अहमदाबाद ब्लास्ट: फैसले के बाद गुजरात बीजेपी की पोस्ट पर विवाद, ट्विटर ने किया रिमूव

अहमदाबाद ब्लास्ट (Ahmedabad bomb blast) पर फैसले के बाद गुजरात बीजेपी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था. इसको विवाद के बाद ट्विटर ने हटा दिया है.

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अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट मामले में 38 दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई है अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट मामले में 38 दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई है

aajtak.in

  • अहमदाबाद,
  • 21 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 11:32 AM IST
  • केस में 38 दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई
  • 11 को आजीवन कारावास की सजा मिली है
  • 56 लोगों की मौत हुई थी, 200 से अधिक हुए थे घायल

अहमदाबाद ब्लास्ट (ahmedabad bomb blast) पर गुजरात बीजेपी के ट्विटर पोस्ट पर बवाल हो गया है, जिसके बाद ट्विटर ने ही उसे हटा दिया है. बता दें कि साल 2008 में अहमदाबाद में हुए सीरियल बम ब्लास्ट मामले पर विशेष अदालत ने पिछले दिनों फैसला दिया था. इसमें 38 दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई है.

एक न्यूज एजेंसी की खबर के मुताबिक, गुजरात बीजेपी ने इस फैसले की तारीफ करते हुए एक पोस्ट किया था, जिसे ट्विटर ने विवाद के बाद हटा दिया है.

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इस मसले पर गुजरात भाजपा के प्रवक्ता यग्नेश दवे का बयान आया है. उन्होंने कहा, '2008 के सीरियल ब्लास्ट के फैसले पर किए गए पोस्ट को किसी की शिकायत के बाद ट्विटर ने हटा दिया है.' उन्होंने कहा कि यह ट्वीट अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया जताते हुए किया गया था.

यह भी पढ़ें-  Ahmedabad Blast: 'दोषियों को समाज में रहने देना आदमखोर तेंदुए को खुला छोड़ने जैसा', जजमेंट में कोर्ट की टिप्पणी

गुजरात बीजेपी के पोस्ट में क्या था

ट्वीट में एक कार्टून डाला गया था. कार्टून में कुछ पुरुषों को टोपी पहने हुए दिखाया गया था, जो फांसी के फंदे से लटके हुए थे. इसके बैकग्राउंड में एक तिरंगा और बम ब्लास्ट की तस्वीर थी. वहीं ऊपरी हिस्से में दाएं कोने पर 'सत्यमेव जयते' लिखा हुआ था.

स्पेशल कोर्ट ने सुनाया था फैसला

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अदालत ने अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट मामले में 38 दोषियों को मौत की सजा और 11 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 200 से अधिक अन्य व्यक्ति घायल हो गए थे. तब 70 मिनट में 21 धमाके किए गए थे.

बता दें कि 8 फरवरी को स्पेशल कोर्ट ने इन सभी को दोषी करार दिया था. जबकि 28 आरोपियों को बरी कर दिया था. इस मामले में स्पेशल कोर्ट में 13 साल से सुनवाई चल रही थी. 13 साल तक चली सुनवाई के दौरान 1,163 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे. पुलिस और कानूनी एजेंसियों ने 6 हजार से ज्यादा सबूत पेश किए थे.

 

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