30 दिन से कुछ इसी तरह किसान आंदोलन की आग दिल्ली के सिंघु बॉर्डर समेत कई सीमाओं पर जल रही है. जिस आंच पर सरकार कहती है कि रोटियां कुछ राजनेता सेंक रहे हैं. और अब महीने भर के बाद डर है कि जल्द बातचीत की रोटियां पलटी नहीं गईं तो भरोसा तेज आंच में काला पड़ सकता है. खुले आसमान के नीचे चलते किसानों के आंदोलन तक पहुंचीं आजतक संवाददाता नवजोत रंधावा. ताकि आज पता चल सके कि आखिर आंदोलन में कितनी हकीकत है, कितनी सियासत है?