किसी दूसरे के दर्द को महसूस कर उसपर मरहम पट्टी करने का भाव उस पेशे से कही बड़ा होता हैं जिसे बड़ी पढ़ाई और डिग्री से हासिल किया जाता हैं. दिल्ली के चांदनी चौक पर सड़क पर चादर बिछा कर कुछ महिलाएं रुई और पट्टियों पर दवाइयां लगा कर गरीबों के ज़ख्मों पर पट्टी करती है. ये महिलाएं डॉक्टर या नर्स नहीं हैं, लेकिन मरहम पट्टी इतने जतन से करती इन महिलाओं का ये भाव किसी पेशेवर डॉक्टर से कम भी नहीं हैं. साथ ही कुछ डॉक्टरों की टीम भी यहां अपनी सेवाएं देते हैं.
कुछ डॉक्टर ज़रूरमंदों को इंजेक्शन और बेसिक दवाइयां देते हुए यहां फुटपाथ पर पिछले 11 सालों से अपनी सेवा दे रहे हैं. पिछले 27 सालों से ये पूरी टीम यहां गरीब और ज़रूरतमंदों को फर्स्ट ट्रीटमेंट देते हुए मरहम पट्टी करते हैं.
1989 में हुई थी इसकी शुरुआत
इस सेवा को 1989 में प्रेमजीत सिंह, और कमलजीत सिंह के पिताजी ने शुरू किया था. अब उनके जाने बाद इस सेवा को दोनों बेटे अपने परिवार के साथ आगे बढ़ा रहे हैं. पूरा परिवार और इस सेवा से जुड़े कुछ वॉलिंटियर्स सुबह 7 बजे से हर रोज़ यहां मरहम पट्टी करते हैं. यहां ज़ख्मों को धोना, फिर उसमें दवाई लगाकर पट्टी करना उसके बाद खाने के लिए ज़रूरी दवाई ओर इंजेक्शन भी दिया जाता हैं.
डॉक्टरों की टीम भी मुफ्त में करती सेवा
इन लोगो में ज्यादातर लोग पेशेवर डॉक्टर नहीं हैं लेकिन इंजेक्शन और दवाइयों के लिए यहां डॉक्टरों की टीम भी मुफ्त सेवा करती हैं. सेवा के इस भाव में पैसों या टाइम का कोई हिसाब नहीं हैं. यहां सेवा करने वाले तमाम लोग सिर्फ और सिर्फ निस्वार्थ भाव से यहां उन लोगों के जख्मों पर मरहम लगाते हैं जो बड़े-बड़े अस्पतालों या क्लिनिक में जाकर अपनी मरहम पट्टी नहीं करवा पाते.
इस तरह की सेवा और फुटपाथ पर मरीज़ों का इलाज करने वाले ये लोग इन ज़रूरमंदो के लिए धरती पर भगवान के बराबर ही हैं.
केशवानंद धर दुबे / प्रियंका सिंह