नोटबंदी से थमे ट्रकों के पहिए, ट्रांसपोर्ट नगर में 90 फीसदी तक कारोबर ठप

दूध-दही, सब्जी, फल, अनाज सबकुछ मंडी से बाजार तक एक राज्य से दूसरे राज्य तक इन्हीं ट्रकों के जरिये लाए-लेजाए जाते हैं. ये दिल्ली का ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे बड़ा ट्रांसपोर्ट नगर है. लेकिन दुविधा ये हैं कि यहां हजारों ट्रकों के पहिए थम गए हैं.

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ट्रकों की रफ्तार पर पड़ा नोटबंदी का असर ट्रकों की रफ्तार पर पड़ा नोटबंदी का असर

रोशनी ठोकने

  • नई दिल्ली,
  • 25 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 7:10 PM IST

नोटबंदी का एक और साइड इफेक्ट सामने आया है, ट्रांसपोर्ट कारोबारियों के मुताबिक नोटबंदी के बाद लगभग 90 फीसदी कारोबार ठप हो गया है. सामानों ढोने वाले हजारों ट्रकों के पहिए थम गए हैं, कारोबारियों के मुताबिक ट्रांसपोर्ट का काम नकदी पर आधारित होता है. ऐसे में नोटबंदी की वजह से ट्रक ड्राइवर से लेकर ट्रांसपोर्ट कंपनी तक परेशान हैं. देश की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा ट्रांसपोर्ट का कारोबार है.

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दूध-दही, सब्जी, फल, अनाज सबकुछ मंडी से बाजार तक एक राज्य से दूसरे राज्य तक इन्हीं ट्रकों के जरिये लाए-लेजाए जाते हैं. ये दिल्ली का ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे बड़ा ट्रांसपोर्ट नगर है. लेकिन दुविधा ये हैं कि यहां हजारों ट्रकों के पहिए थम गए हैं.

नहीं है कोई काम
गुरुदासपुर निवासी लखविंदर सिंह पिछले तीन दिनों से दिल्ली के ट्रांसपोर्ट नगर में खाली बैठे हुए हैं. लखविंदर के मुताबिक नोटबंदी के बाद दुकानदार से सामान लेकर किसी दूसरे शहर ले जाने में कैश की दिक्कत सामने आ रही हैं. नए नोट या खुले पैसे ना तो दुकानदार के पास हैं ना ही ट्रक ड्राइवर के पास. लिहाजा ट्रकों के चक्कर भी आधे हो गए हैं. लखविंदर सिंह अकेले नहीं हैं जिनका ट्रक ट्रांसपोर्ट नगर पर खड़ा है बल्कि ऐसे हजारों ट्रक हैं जो दिल्ली तो आ गए. लेकिन अब दिल्ली से दूसरे राज्य जाने के लिए ना तो इन्हें कोई काम मिल रहा है और ना ही कैश. कोलकाता से दिल्ली पहुंचे अशोक साव को तो 8 नवंबर के नोटबंदी ऐलान के बाद करीब 8 दिन तक कोई काम नहीं मिला. जैसे-तैसे सामान लेकर अशोक दिल्ली तो आ गए लेकिन अब चिंता है कि दिल्ली से लोडिंग का काम कब मिलेगा ?

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देश में 30 लाख ट्रक
जानकारी के मुताबिक देश में करीब 1 करोड़ कमर्शियल गाड़ियां चलती हैं, इनमें से 30 लाख ट्रक एक से दूसरे शहरों के बीच माल की ढुलाई करते हैं. यूनाइटेड फेडरेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के वाइस प्रेसिंडेट श्याम सुंदर ने बताया कि नोटबंदी से पहले रोजाना 5 से 6 हजार ट्रकों का आना जाना लगा रहता था. लेकिन अब ये संख्या 500 - 600 में बदल गई है, ट्रक संचालकों के मुताबिक लंबी दूरी वाले ट्रक का संचालन कर पाना अभी मुश्किल है. असल में इसके लिए ड्राइवर को कैश देना पड़ता है, लेकिन नोटबंदी के कारण इतना कैश का इंतजाम संभव नहीं हो पा रहा है, वहीं दूसरी पर्टियां भी नए नोट नहीं दे पा रही है, लिहाजा कारोबार पूरी तरह ठप है.

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