हमारे पास भी केजरीवाल जितनी ही पावर थी: शीला दीक्षित

शीला दीक्षित ने आजतक से कहा कि केजरीवाल सिर्फ बहाना कर रहे हैं क्योंकि हमारे पास जो शक्तियां थीं वही शक्तियां उनके पास भी हैं वह बदल नहीं सकते हैं. संसद अगर संविधान को बदलेगी तभी यह शक्तियां बदली जाएंगी.

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शीला दीक्षित शीला दीक्षित

परमीता शर्मा / मणिदीप शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 09 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 12:17 AM IST

बीते दिनों दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की तरह शक्तियां पाने की बात की थी. इस मुद्दे पर आजतक ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से खास बातचीत की. इस पर शीला ने अरविंद केजरीवाल की बातों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि संविधान में लिखा हुआ है कि दिल्ली एक संघ शासित प्रदेश है. उसके अलावा हमारी कोई पावर नहीं थी और ना ही कोई पावर ले सकता है.

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शीला दीक्षित ने कहा कि पावर का मतलब यह नहीं है कि जब आप का मन हुआ, इसे ले लिया और जब आप का मन हुआ मना कर दिया, यह संविधान का निर्णय होता है और संविधान के मुताबिक ही दिल्ली चलती है. जितनी शक्तियां केजरीवाल के पास हैं उतनी ही मेरे पास थीं.

शीला दीक्षित ने आजतक से कहा कि केजरीवाल सिर्फ बहाना कर रहे हैं क्योंकि हमारे पास जो शक्तियां थीं, वही शक्तियां उनके पास भी हैं वह बदल नहीं सकते हैं. संसद अगर संविधान को बदलेगी तभी यह शक्तियां बदली जाएंगी. शीला दीक्षित ने कहा कि केजरीवाल काम नहीं करने का बहाना ढूंढ रहे हैं.

LG से परेशान किए जाने के सवाल पर शीला दीक्षित ने कहा कि केजरीवाल खुद से पूछें कि एलजी क्यों परेशान करते हैं? कोई एलजी परेशान नहीं करता है. एलजी का काम अपना है, हां लेकिन जो लॉ एंड ऑर्डर हैं वो एलजी के पास हैं. जब भी कभी हमें एलजी की जरूरत होती थी वह पूरी तरह से हमारा सहयोग करते थे, मगर किसी का हमारे साथ सहयोग करना हम पर भी निर्भर करता है, अगर हम हर वक्त झगड़ा करेंगे तो फिर एलजी कैसे सहयोग करेंगे?

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अफसरों और केजरीवाल के बीच तकरार के मुद्दे पर शीला दीक्षित ने कहा कि जिस तरह से चीफ सेक्रेटरी के साथ व्यवहार हुआ था वह हमारे समय तो किसी भी ऑफिसर के साथ नहीं हुआ, आखिर केजरीवाल अफसरों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों करते हैं. अगर कोई अधिकारी भ्रष्ट होता था तो एलजी हमारे साथ सहयोग करते थे और तब उसका ट्रांसफर होता था अगर केजरीवाल जी एलजी के साथ सहयोग नहीं करेंगे और सिर्फ यह सोचेंगे कि जो मैं जैसा चाहता हूं वैसा हो तो ऐसे में मैं कहना चाहूंगी कि अरविंद केजरीवाल जी शासन चलाने को समझ नहीं पा रहे हैं.

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