दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला- शादी का वादा करके सेक्स करना हमेशा रेप नहीं

जस्टिस विभू बाखरू की बेंच ने कहा कि कुछ केस ऐसे होते हैं, जिनमें महिलाएं शादी के वादे में आकर कुछ मौकों पर फिजिकल रिलेशन बनाने के लिए राजी हो जाती हैं, जबकि इसमें उनकी पूर्ण सहमति नहीं होती. ये ‘क्षणिक’ होता है.

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दिल्ली हाई कोर्ट (फाइल फोटो) दिल्ली हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 12:37 AM IST
  • 'शादी के वादे पर शारीरिक संबंध बनाना हर बार रेप नहीं'
  • महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट का फैसला
  • 'शादी का वादा करके कई महीनों तक फिजिकल रिलेशन बनाए गए'

दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि शादी के वादे पर शारीरिक संबंध बनाना हर बार रेप नहीं है. एक महिला की ओर से दाखिल किए गए रेप केस की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने ये आदेश दिया.

महिला 2008 से लेकर 2015 तक एक पुरुष के साथ रिलेशन में थी. बाद में उस व्यक्ति ने महिला को छोड़ दिया और दूसरी महिला से शादी कर ली. महिला ने आरोप लगाया था कि शादी का वादा करके उसके साथ कई महीनों तक फिजिकल रिलेशन बनाए गए.

पहले ये केस ट्रायल कोर्ट में था. वहां से आरोपी पुरुष को रेप के आरोप से बरी कर दिया गया था. इसके बाद फरियादी महिला ने हाई कोर्ट का रुख किया. अब हाई कोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी है.

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जस्टिस विभू बाखरू की बेंच ने कहा कि कुछ केस ऐसे होते हैं, जिनमें महिलाएं शादी के वादे में आकर कुछ मौकों पर फिजिकल रिलेशन बनाने के लिए राजी हो जाती हैं, जबकि इसमें उनकी पूर्ण सहमति नहीं होती. ये ‘क्षणिक’ होता है और ऐसे मामलों में IPC की धारा- 375 (रेप) के तहत केस चलाया जा सकता है.

कोर्ट ने आगे कहा कि अगर कोई लगातार, लंबे समय तक सेक्शुअल रिलेशन बना रहा है तो ये नहीं माना जा सकता कि इतने लंबे समय तक सिर्फ शादी के वादे पर ऐसा किया जा रहा था.

 

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