बिना नोटिस MCD ने तोड़ा मकान, कोर्ट का आदेश- 2 करोड़ दो हर्जाना

ये मामला साउथ दिल्ली की पॉश कॉलोनी सैनिक फार्म से जुड़ा हुआ है. मकान मालिक को घर खाली करने का नोटिस दिए बिना नगर निगम अधिकारियों ने एक मकान में तोड़फोड़ की थी.

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कोर्ट ने लगाई एमसीडी को फटकार कोर्ट ने लगाई एमसीडी को फटकार

सुरभि गुप्ता / पूनम शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 27 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 6:03 PM IST

साउथ दिल्ली के एक घर को बिना नोटिस दिये तोड़ना साउथ एमसीडी को बहुत भारी पड़ा है. साकेत कोर्ट ने एमसीडी को उनकी इस गलती पर एक महीने में मकान का निर्माण कराने या फिर मकान मालिक को 2 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया है.

सैनिक फार्म से जुड़ा है मामला

ये मामला साउथ दिल्ली की पॉश कॉलोनी सैनिक फार्म से जुड़ा हुआ है. मकान मालिक को घर खाली करने का नोटिस दिए बिना नगर निगम अधिकारियों ने एक मकान में तोड़फोड़ की थी. साकेत कोर्ट ने मकान मालिक को 1.5 करोड़ रुपये देने और इसके अलावा कोर्ट ने मकान मालिक को मानसिक तनाव झेलने, प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने, मकान व कीमती सामान तोड़ने की एवज में 50 लाख रुपये हर्जाना देने का भी आदेश दिया है.

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2007 में तोड़ा गया था यचिकाकर्ता का मकान

ये याचिका साकेत कोर्ट में अशोक सिक्का ने दायर की थी. 2007 में एमसीडी ने बिना नोटिस दिए उनका मकान तोड़ दिया था. आरोप ये भी था कि तोड़फोड़ के दौरान एमसीडी अधिकारी रिश्वत ले रहे थे. 2007 में सैनिक फार्म की 20 मकानों को तोड़ने के लिए एमसीडी ने लिस्ट बनाई थी. साकेत कोर्ट ने अपने 100 पन्नों के ऑर्डर में उस वक्त के और फिलहाल कार्यरत एमसीडी अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एमसीडी ने याचिकाकर्ता के साथ भेदभाव किया. एमसीडी ने दिल्ली नगर निगम अधिनियम का भी उल्लंघन किया. अधिनयम कहता है कि प्रॉपर्टी तोड़ने से पहले उसके मालिक को उसे खाली करने का नोटिस दिया जाएगा.

'गैरकानूनी थी MCD की तोड़फोड़'

कोर्ट ने कहा कि एमसीडी के पूर्व आयुक्त और इंजीनियर ने साजिश रचकर याचिकाकर्ता को नुकसान पहुंचाया. कोर्ट ने कहा कि ये प्रॉपर्टी दिल्ली लॉ एक्ट 2006 के तहत तोड़फोड़ से संरक्षित है. एमसीडी की तोड़फोड़ गैरकानूनी थी. याचिकाकर्ता ने अपने जीवनभर की मेहनत से जोड़े पैसों से मकान बनवाया था. कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि इस केस को चलते सात साल हो गए. वहीं, दिसंबर 2010 में केंद्र सरकार के हाईकोर्ट में हलफनामा देने के बाद भी अभी तक सैनिक फार्म को लेकर कोई पॉलिसी नहीं बनी है.

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