रियलटी चैक: कितने कैशलेस हुए बीजेपी दफ्तर, नेता और कार्यकर्ता?

बीजेपी के दिल्ली प्रदेश दफ्तर की कैंटीन में रोजाना की तरह लोग खाना खा रहे थे साथ ही यहां की मशहूर बालूशाही भी, लेकिन जब पैसे देने के लिए मोबाइल निकाला तो कैशियर ने कहा कि पेमेंट तो कैश ही करना पड़ेगा, क्योंकि अभी कैशलेस की व्यवस्था नहीं है

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बीजेपी दफ्तर का रियलटी चैक बीजेपी दफ्तर का रियलटी चैक

कपिल शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 26 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 6:13 PM IST

केंद्र की मोदी सरकार कैशलेस का डंका बजा रही है, देश को कैशलेस इकोनॉमी से जोड़ने का दावा कर रही है. ऐसे में आजतक ने बीजेपी के दफ्तर, नेता और कार्यकर्ताओं का रियलिटी टेस्ट किया और जानने की कोशिश की, कि बीजेपी के घर में उसके ही लोगों का क्या हाल है, क्या बीजेपी से जुड़े लोग कैशलेस हो पाए हैं और हां तो कितनी हद तक.

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बीजेपी के दिल्ली प्रदेश दफ्तर की कैंटीन में रोजाना की तरह लोग खाना खा रहे थे साथ ही यहां की मशहूर बालूशाही भी, लेकिन जब पैसे देने के लिए मोबाइल निकाला तो कैशियर ने कहा कि पेमेंट तो कैश ही करना पड़ेगा, क्योंकि अभी कैशलेस की व्यवस्था नहीं है और ना स्वाइप मशीन का कोई इंतजार है. कैंटीन में चाय पी रहे बीजेपी कार्यकर्ता ने बताया कि वह खुद अभी कैशलेस का इस्तेमाल नहीं कर रहे है और ना ही कोई विकल्प मौजूद है.

अभी थोड़ी परेशानी है

बीजेपी के राष्ट्रीय मंत्री आर.पी. सिंह से पूछा तो उन्होंने अपने सारे कार्ड निकालकर दिखा दिए, डेबिट कार्ड से लेकर मेट्रो कार्ड तक. आर.पी. सिंह ने कहा कि वह मेट्रो में भी कैशलेस यात्रा करते है मेट्रो कार्ड का इस्तेमाल करके. उन्होंने अपना मोबाइल निकाल कर दिखाया कि हम ई-वॉलेट का इस्तेमाल कर रहे है, हालांकि इसको लेकर अभी कई परेशानियां आ रही है लेकिन जल्द समस्या दूर होंगी.

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धोखाधड़ी का है खतरा

वहीं पूर्व पार्षद मालती वर्मा ने कहा कि उनके पास डेबिट कार्ड तो है पर वह धोखाधड़ी के डर से उसका इस्तेमाल नहीं करती है. मतलब साफ है कि जब खुद बीजेपी के दिल्ली प्रदेश का दफ्तर भी अभी तक पूरी तरह कैशलेस नहीं हुआ है, ऐसे में अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि आम लोगों और दूसरी जगहों पर कैशलेस की डगर फिलहला कितनी मुश्किल है.

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