दिल्ली के व्यापारियों को इन 10 वजहों से सता रहा है जीएसटी का डर

दिल्ली में ही कई छोटे-बड़े बाजारों में ऐसे लाखों व्यापारी हैं जिनको जीएसटी की पूरी जानकारी नहीं है. ऐसे में व्यापारियो का मानना है सरकार को जीएसटी लागू करने से पहले सभी को जागरूक करने की मुहिम चलानी चाहिए थी जिससे सभी सही तरीके से इस कदम के साथ स्वेच्छा से जुड़ सकें.

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एक जुलाई से लागू होगा जीएसटी एक जुलाई से लागू होगा जीएसटी

स्मिता ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 15 जून 2017,
  • अपडेटेड 7:47 AM IST

जीएसटी को लागू होने में अब 20 दिन से भी कम वक़्त बचा है. ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती व्यापारियों को नई प्रणाली से जोड़ने की है. 20 लाख से ऊपर वाली सालाना आमदनी वाले व्यापारियों का जीएसटी से जुड़ना अनिवार्य है लेकिन नए टैक्स सिस्टम की जानकारी और कम्प्यूटर साक्षरता के अभाव में छोटे-बड़े सभी व्यापारी परेशान हैं.

देश मे करीब 6 करोड़ छोटे व्यापारी हैं. देश के बाकी राज्यों को अगर छोड़ भी दें तो दिल्ली में ही कई छोटे-बड़े बाजारों में ऐसे लाखों व्यापारी हैं जिनको जीएसटी की पूरी जानकारी नहीं है. ऐसे में व्यापारियो का मानना है सरकार को जीएसटी लागू करने से पहले सभी को जागरूक करने की मुहिम चलानी चाहिए थी जिससे सभी सही तरीके से इस कदम के साथ स्वेच्छा से जुड़ सकें. व्यापारी संघ के अध्यक्ष प्रवीण खंडेलवाल का मानना है कि छोटे व्यापारियों को जोड़ने के लिए उनको जागरुक करना बहुत जरूरी है.

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व्यापारियों के सामने ये परेशानियां
1. नए टैक्स सिस्टम से जुड़ी छोटी-बड़ी जानकारी का अभाव.
2. जीएसटी के कारण सभी बही खातों का कंप्यूटरीकरण, जिसे ज्यादातर व्यापारी चलाना ही नहीं जानते हैं.
3. 60 फीसदी व्यापारियों को कम्प्यूटर की जानकारी नहीं है.
4. महीने में 3 बार आयकर रिटर्न फ़ाइल करना होगा जो कि पहले 3 महीने में एक बार था.
5. लोकल होल सेल व्यापारियो के लिए सभी प्रोडक्ट की जानकारी कम्प्यूटर पर डालना मुमकिन नहीं है.
6. जीएसटी के तहत लगने वाले टैक्स की सही जानकारी नहीं है.
7. बाजार अभी से हुआ मंदा, खरीदार नहीं आ रहे हैं.
8. सभी सामानों पर अलग-अलग टैक्स भी परेशानी बढ़ा रहा है.
9. ट्रांसक्शन फ़ाइल करते समय हुई गलती के चलते उनको जुर्माना भरना होगा.
10. जीएसटी लागू होते ही बाज़ारो पर पड़ने वाले असर से व्यापारी डरे हुए हैं.

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जीएसटी के दूरगामी परिणाम को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी है कि सभी इससे जुड़ें. जिसके लिए यह भी जरूरी है कि शुरुआत में सभी छोटे-बड़े व्यापारियो को वक़्त दिया जाए ताकि वह इस नई टैक्स प्रणाली को समझ कर इसका हिस्सा बन सकें.

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