मंत्रियों, सांसदों और विधायकों के अपनी संबंधित पार्टियों के लिए चुनाव प्रचार अभियानों में हिस्सा लेने को एक जनहित याचिका (PIL) में दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया है कि मंत्री, सांसद और विधायक जनसेवक (पब्लिक सर्वेंट) हैं. कानून के मुताबिक जनसेवक सिर्फ अपना वोट देने के अलावा चुनाव में और किसी तरह की शिरकत नहीं कर सकते.
इस याचिका पर सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस जी रोहिणी और जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल की बेंच ने सुनवाई करनी थी. लेकिन, बेंच के नहीं बैठने की वजह से अब इस पर 23 नवंबर को सुनवाई निर्धारित की गई है.
याचिका रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर मोहन सिंह की ओर से दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि सांसद और विधायक ऑफिस की शपथ लेते हैं. ऐसे में ये समझा जाना चाहिए कि वे सिर्फ देश के लिए काम करेंगे, ना कि ऑफिस में रहते हुए अपने कार्यकाल के दौरान किसी पार्टी के लिए काम करेंगे.
याचिका में पूछा गया है, 'क्या सांसद, विधायक, मंत्री या प्रधानमंत्री, भ्रष्टाचार निवारण कानून, 1988 के तहत वैसे ही जनसेवक के दायरे में आते हैं जैसे कि सरकार के दूसरे जनसेवक.' याचिकाकर्ता का कहना है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपने कार्यकाल के दौरान राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेकर राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. याचिका में केंद्र को ये निर्देश देने की मांग की गई है कि वह सांसद/विधायकों के कार्यकाल के दौरान किसी भी राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगाए.
अंजलि कर्मकार