गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट में आज खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि 26 जनवरी को जो कुछ भी हुआ है उसकी जांच पहले ही हो रही है लिहाजा इस याचिका पर अब सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मंशा पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि 26 तारीख को दिल्ली में हिंसा की घटना हुई और उसके 3 दिन के भीतर 29 तारीख को याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका हाई कोर्ट में दाखिल कर दी. कोर्ट का कहने का तात्पर्य था कि क्या इस तरह के मामलों में 3 दिन के भीतर जांच पूरी हो सकती है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या उसे पता है कि किसी भी जांच एजेंसी को अपनी जांच पूरी करने के लिए कितने दिन का वक्त दिया जाता है.
मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया 26 जनवरी को हुई हिंसा के मामले में अब तक 43 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं, जिसमें से 13 एफआईआर को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल को ट्रांसफर कर चुकी है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया इस मामले में जांच एजेंसियां गंभीरता से छानबीन कर रही हैं. मामले की जल्द से जल्द जांच पूरी करना जांच एजेंसियों की प्राथमिकता है. जांच एजेंसी कानूनी दायरे में रहते हुए अपना काम कर रही हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में यूएपीए भी लगाया जा सकता है या नहीं, इसको लेकर भी जांच एजेंसियां काम कर रही हैं, क्योंकि 26 जनवरी की हिंसा में कुछ ऐसे संगठन भी शामिल थे जिन्हें बैन कर दिया गया है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की तरफ से इन तमाम जानकारियों के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि हम इस याचिका को खारिज कर रहे हैं, लेकिन याचिकाकर्ता ने कहा कि वह अपनी याचिका को वापस लेना चाहते हैं. इससे पहले कल सुप्रीम कोर्ट गणतंत्र दिवस पर राजधानी में हुई हिंसा से जुड़ी याचिका पर सुनवाई से इंकार कर चुका है. सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि सरकार इस मामले पर नजर रखे हुए है. जांच एजेंसियां अपना काम कर रही हैं. ऐसे में कोर्ट को मामले में दखल देने की जरूरत नहीं है.
पूनम शर्मा