देश भर में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच भारतीय सेना युद्ध स्तर पर काम कर रही है. कोरोना से युद्ध के इस समय में भारतीय सेना के तीनों अंग देश की ताकत बन रहे हैं. जहां एक तरफ वायुसेना ऑक्सीजन और वैक्सीन लाने की जिम्मेदारी निभा रही है वहीं भारतीय नौसेना भी उम्मीद भरी मुहिम में जुटी हुई है. देश में ऑक्सीजन के लिए मचे हाहाकार के बीच भारतीय नौसेना विदेशों से ऑक्सजीन कंटेनर और सिलेंडर लाने में जुटी है.
ऑपरेशन समुद्र-सेतु के तहत सोमवार को नौसेना के युद्धपोत लिक्विड ऑक्सजीन, सिलेंडर और कंसन्ट्रेटर्स सहित दूसरे मेडिकल उपकरण लेकर देश पहुंचे हैं. मदद तभी कारगर है जब वो सही वक्त पर मिले, इसलिए नौसेना ने अपनी इस मुहिम में 7 से 8 युद्धपोतों को लगाया है.
भारत का समुद्र प्रहरी INS त्रिकंड वैसे तो दुश्मनों को गहरे पानी में डूबोने वाला महारथी है, लेकिन जब बात देश के लोगों की ज़िंदगी बचाने की आई तो ऑक्सीजन के टैंकरों को लाने में जरा भी देर नहीं हुई. जानकारी के मुताबिक मुंबई के बंदरगाह में INS त्रिकंड लंगर डाल चुका है. सिर्फ पांच दिनों के अंदर अरब सागर पार करके कतर के हम्माद पोर्ट से तरल ऑक्सीजन से भरे क्रायोजेनिक कंटेनरों को भारत लाया गया.
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आईएनएस त्रिकंड से करीब 40 टन लीक्विड ऑक्सीजन लाई गई है. इससे बड़ी मात्रा में मरीज़ों के लिए ऑक्सीजन गैस की सप्लाई सुनिश्चित हो पाएगी. ये मदद फ्रांस की सरकार ने की है, अगले 2 महीने में 600 मीट्रिक टन तरल ऑक्सीजन से भरे क्रायोजेनिक कंटेनर भेजे जाएंगे. ऐसे संकट के समय में ये बहुत बड़ी मदद है.
अच्छी खबर ये भी है कि नौसेना का युद्धपोत ऐरावत सिंगापुर से 20 मीट्रिक टन क्षमता वाले आठ क्रायोजेनिक ऑक्सीजन टैंक लेकर विशाखापत्तनम पहुंच चुका है. इसके अलावा आईएनएस ऐरावत में 3150 खाली सिलेंडर, 500 भरे हुए सिलेंडर और 10 हजार रेपिड एंटीजन टेस्टिंग किट भी है.
वहीं आईएनएस कोलकाता युद्धपोत भी कतर और कुवैत से जरूरी चिकित्सा उपकरण लेकर कर्नाटक के मंगलौर बंदरगाह तक कभी भी पहुंच सकता है. इस युद्धपोत में ऑक्सीजन कंटनेर हैं. इसमें 400 से ज्यादा ऑक्सजीन सिंलेंडर होंगे. बता दें कि भारतीय नौसेना ने अपने 7 युद्धपोतों को कोविड से लड़ने वाले राहत मिशन के लिए तैनात किया है.
पंकज उपाध्याय