दिल्ली: पहली बार महिला अफसर बनीं क्राइम ब्रांच की डीसीपी, मोनिका भारद्वाज को जिम्मेदारी

नई जिम्मेदारी के साथ मोनिका भारद्वाज के सामने चुनौतियां भी कम नहीं होंगी. ऐसा इसलिए क्योंकि क्राइम ब्रांच में काम करने का तरीका कुछ अलग होता है. यहां पर पूरा ध्यान सिर्फ जांच पर होता है.

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मोनिका भारद्वाज मोनिका भारद्वाज

तनसीम हैदर

  • नई दिल्ली,
  • 31 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 7:33 AM IST
  • 2009 बैच की महिला आईपीएस मोनिका भारद्वाज को नई जिम्मेदारी मिली
  • मोनिका भारद्वाज दिल्ली क्राइम ब्रांच की डीसीपी नियुक्त की गई हैं
  • नई जिम्मेदारी के साथ मोनिका भारद्वाज के सामने चुनौतियां भी कम नहीं होंगी

2009 बैच की महिला आईपीएस मोनिका भारद्वाज को नई जिम्मेदारी मिली है. मोनिका भारद्वाज दिल्ली क्राइम ब्रांच की डीसीपी नियुक्त की गई हैं. ये पहली बार है जब किसी महिला अधिकारी को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की जिम्मेदारी दी गई है. दिल्ली पुलिस के अन्य अधिकारियों का मानना है कि मोनिका भारद्वाज को क्राइम ब्रांच की कमान सौंपने से महिला पुलिसकर्मियों और अन्य पुलिस अधिकारियों का भी उत्साह बढ़ेगा.

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नई जिम्मेदारी के साथ मोनिका भारद्वाज के सामने चुनौतियां भी कम नहीं होंगी. ऐसा इसलिए क्योंकि क्राइम ब्रांच में काम करने का तरीका कुछ अलग होता है. यहां पर पूरा ध्यान सिर्फ जांच पर होता है. आईपीएस असलम खान ने कहा, 'वह एक पुलिस अधिकारी हैं. पहली महिला अधिकारी के बारे में क्या हलचल है. भेदभाव करना बंद करो. हम सब अधिकारी हैं और हम खुद को  साबित करने के लिए जीतोड़ मेहनत भी करते हैं.' महिला आईपीएस असलम खान नॉर्थ वेस्ट दिल्ली की डीसीपी थीं. अभी वह ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट में हैं.

पहला टास्क कुख्यात अपराधियों से भी निपटना होता है

दिल्ली पुलिस के अन्य अधिकारियों का मानना है कि मोनिका भारद्वाज ने तीस हजारी हिंसा के दौरान काफी संयम से काम लिया था. इसलिए उन्हें ये जिम्मेदारी दी गई है क्योंकि क्राइम ब्रांच की जिम्मेदारी अपने आप में बड़ी होती हैं. इसका कारण है कि यहां सिर्फ जांच पर ही फोकस नहीं करना होता बल्कि पहला टास्क कुख्यात अपराधियों से भी निपटना होता है.

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कुछ साल पहले तक, स्पेशल सेल की जिम्मेदारी आतंकियों को पकड़ना और उनसे सामना करने की होती थी जबकि क्राइम ब्रांच अन्य कुख्यात अपराधियों पर कार्रवाई करती थी. हाल ही में, स्पेशल सेल ने अपराधियों और आतंकियों के बहुत एनकाउंटर किए हैं. जबकि अभी तक किसी भी महिला अधिकारी को स्पेशल सेल का डीसीपी नहीं बनाया गया है.

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