जल्द सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा विधि आयोग, लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराने की तैयारी

एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर विधि आयोग चुनावों के ऐलान से पहले यानी 15 मार्च तक अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेगा. बताया जा रहा है कि आयोग एक साथ चुनाव को लेकर संविधान में एक नया अध्याय जोड़ने की सिफारिश करेगा. 

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जल्द सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा विधि आयोग. (सांकेतिक फोटो) जल्द सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा विधि आयोग. (सांकेतिक फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 08 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 11:26 PM IST

एक देश एक चुनाव मुद्दे पर विधि आयोग जल्द ही अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेगा. सूत्रों के मुताबिक आयोग इस मुद्दे को लेकर संविधान में संशोधन करने की सिफारिश करने जा रहा है. इसके लिए 2029 के मध्य तक देश भर में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है.

आयोग कर सकता है ये सिफारिशें

बताया जा रहा है कि आयोग एक साथ चुनाव को लेकर संविधान में एक नया अध्याय जोड़ने की सिफारिश करेगा. इसमें समय पूर्व सरकार गिरने की स्थिति में पांच साल की अवधि के बाकी बचे हुए कार्यकाल में अंतरिम साझा सरकार यानी सर्वदलीय सरकार चलाने जा प्रावधान होगा. अंतिम विकल्प अगर चुनाव कराना ही हो तो सिर्फ बचे हुए कार्यकाल के लिए ही होगा.

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आयोग अगले पांच सालों में तीन चरणों में विधान सभाओं की शर्तों को समकालिक करने की भी सिफारिश करेगा. इसके बाद पहला एक साथ चुनाव मई-जून 2029 में यानी 19वीं लोकसभा का ही हो सकेगा.

तो नए सिरे से होंगे चुनाव

सूत्रों के मुताबिक, आयोग सिफारिश करेगा कि पहले चरण में राज्य विधानसभाओं से निपटा जा सकता है. इसके लिए विधानसभाओं की अवधि को कुछ महीनों जैसे तीन या छह महीने के लिए कम करना या राष्ट्रपति शासन के जरिए बढ़ाना होगा. 

इसके अलावा, यदि कोई सरकार अविश्वास के कारण गिर जाती है या त्रिशंकु सदन होता है तो आयोग विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ साझा सरकार के गठन की सिफारिश करेगा. अगर एकता सरकार का फॉर्मूला काम नहीं करता है, तो कानून पैनल सदन के शेष कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराने की सिफारिश करेगा.

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1967 तक होते थे एक साथ चुनाव

बता दें कि आजाद भारत में 'एक देश-एक चुनाव' की बात बहुत पहले से कही जाती रही है. पहले की सरकारों में भी इस पर बात होती रही है. हालांकि, कुछ रिपोर्ट आदि से आगे कभी मामला नहीं बढ़ा. थोड़ा और पीछे चलें तो यह भी एक सत्य-तथ्य है कि, भारत में, 1967 तक एक साथ चुनाव कराने का चलन था. लेकिन 1968 और 1969 में कुछ विधान सभाओं और दिसंबर 1970 में लोकसभा के विघटन के बाद, चुनाव अलग से कराए जा रहे हैं. हालांकि दोबारा से एक साथ चुनाव कराने की संभावना 1983 में चुनाव आयोग की वार्षिक रिपोर्ट में उठाई गई थी. इसके बाद में तीन अन्य रिपोर्ट में इस अवधारणा से जुड़े और पहलुओं पर गहनता से अध्ययन किया गया. 

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