गाजियाबाद, नई दिल्ली और पलवल के बीच नए रंग और नई तकनीक की लोकल ट्रेन चलने जा रही है. आईसीएफ चेन्नई में बनी इस थ्री फेज टीएमयू की खासियत यह है कि इसमें तीन-तीन कोच के चार सेट हैं, जिनको मिलाकर 12 कोच की नई ईएमयू बनाई गई है. नई ईएमयू का रंग जहां एक तरफ गुलाबी दिया गया है तो वहीं दूसरी तरफ इसमें नई तकनीक की वजह से रफ्तार भी 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रहेगी. इस समय इस रूट पर जो ट्रेन चलती है, वह सिंगल फेज ईएमयू है जो अधिकतम 95 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है.
उत्तर रेलवे ने कुल मिलाकर नई ईएमयू की 6 रैक खरीदी हैं. इनमें से 2 गाड़ियां उत्तर रेलवे को मिल चुकी हैं. पलवल, नई दिल्ली और गाजियाबाद के बीच इन गाड़ियों का ट्रायल करके देखा जा चुका है. इस ट्रायल के बाद नई ईएमयू को कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी ने हरी झंडी दे दी है. रेलवे के सूत्रों के मुताबिक इस समय पलवल, नई दिल्ली और गाजियाबाद के बीच चल रही मौजूदा ईएमयू ट्रेन की जगह नई नवेली थ्री फेज ईएमयू को चलाया जाएगा.
नई ईएमयू ट्रेन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें मौजूद महिला स्पेशल कोच में हर एक गेट पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. ट्रेन जीपीएस से लैस है. लिहाजा इसमें एलईडी स्क्रीन लगाई गई है जिसमें ट्रेन रूट से संबंधित सूचना लगातार चलती रहेगी. इस ट्रेन में बीचों बीच वेंटिलेशन की ऐसी व्यवस्था की गई है जिससे डिब्बे के अंदर मौजूद हवा लगातार सर्कुलेट होती रहेगी. ट्रेन में मौजूद सारे कोच स्टेनलेस स्टील की सीटों से लैस हैं. 12 कोच की ट्रेन में दो कोच महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे. इस ट्रेन में दिव्यांगों के लिए दो कोच में अलग से जगह दी गई है जिससे उनको आने-जाने में असुविधा न हो.
रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक नई ईएमयू ट्रेन का ड्राइवर केबिन पूरी तरीके से डिजिटल है. इसमें पूरी ट्रेन के कंट्रोल दिए गए हैं. ट्रेन के अंदर कहीं कोई खराबी आती है तो ड्राइवर के सामने मौजूद स्क्रीन पर ट्रेन खुद ही बताती है कि उसे क्या दिक्कत है. ड्राइवर केबिन में पहली बार ईएमयू ट्रेन के अंदर दिल्ली एनसीआर में वातानुकूलित दिया गया है. इससे ड्राइवर को गाड़ी चलाने में सुविधा होगी.
थ्री फेज ईएमयू में एक और बड़ी खूबी कम बिजली की खपत है. आईसीएफ चेन्नई के इंजीनियर ने इस ट्रेन को इस तरह से बनाया है कि जब इस ट्रेन को ब्रेक लगाकर रोका जाता है तो इसमें मौजूद कुछ खास तरह की मोटर बिजली के डायनेमो को चला देते हैं. इससे पूरी ट्रेन में ब्रेक लगाने के दौरान खर्च होने वाली एनर्जी बिजली में तब्दील हो जाती है. ट्रेन में मौजूद खास तरीके के सिस्टम के जरिए यह बिजली वापस पैंटोग्राफ के जरिए पावर ग्रिड में चली जाती है. इससे इस ट्रेन को चलाने में कम बिजली की खपत होती है.
aajtak.in / सिद्धार्थ तिवारी