दिल्ली मेट्रो पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, राजस्व को करोड़ों का नुकसान

अपने काम की वजह से देशभर के मेट्रो प्रोजेक्टों के लिए मिसाल बन चुकी दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन पर इस बीच भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. निजी संस्था इंडिया अगेंस्ट करप्शन 2.0 ने बुधवार को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में प्रेस कांफ्रेंस कर दिल्ली मेट्रो के खिलाफ तमाम ऐसे कागजात प्रस्तुत किए हैं.

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अंकित यादव

  • नई दिल्ली,
  • 13 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 6:41 PM IST

अपने काम की वजह से देशभर के मेट्रो प्रोजेक्टों के लिए मिसाल बन चुकी दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन पर इस बीच भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. निजी संस्था इंडिया अगेंस्ट करप्शन 2.0 ने बुधवार को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में प्रेस कांफ्रेंस कर दिल्ली मेट्रो के खिलाफ तमाम ऐसे कागजात प्रस्तुत किए हैं.

इन कागजातों से साफ पता चल रहा है कि बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए मेट्रो और डीडीए के अधिकारियों ने ऐसा गड़बड़झाला किया है. दिल्ली मेट्रो पर इस मामले में आरोप लग रहे हैं कि निजी बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए DDA से मामूली रकम में जमीन मेट्रो डिपो बनाने के लिए ली लेकिन बाद में बिल्डर को शॉपिंग मॉल बनाने के लिए लीज पर दे दी. ऐसा कहा जा रहा है कि इस पूरी प्रक्रिया को पालन कराने के दौरान जबर्दस्त तरीके से गड़बड़ी हुई है.

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दरअसल, 2003 में डीडीए से डीएमआरसी ने मेट्रो डिपो बनाने के नाम पर जमीन ली. ख्याला में ये जमीन 35 हजार वर्ग मीटर एरिया की है. डीडीए से 2 साल के लिए लीज पर ली गई इस जमीन को दिल्ली मेट्रो ने 30 साल के लिए बिल्डर को दे दी. बिल्डर ने यहां पर पैसिफिक मॉल बनाकर हर साल करोडों की कमाई की.

आरटीआई के जरिए सवाल उठाने पर संस्था को पता चला कि इस पूरी प्रक्रिया में जबर्दस्त गड़बड़ी की गई है. निजी बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए दिल्ली मेट्रो ने सरकार को करोडों रूपए का राजस्व का नुकसान पहुंचाया.

दिल्ली मेट्रो पर लगे बड़े आरोप

दिल्ली मेट्रो ने डिपो बनाने के लिए डीडीए से जमीन लीज पर ली लेकिन दूसरी जमीन एक बिल्डर को मॉल बनाने के लिए दे दी. इस दौरान ब्लैंक डाक्यूमेंट पर एग्रीमेंट किया गया. 60 करोड़ का एग्रीमेंट मात्र 100 रूपए के स्टांप पेपर पर किया गया. जबकि नियमानुसार 6 प्रतिशत के स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट किया जाना चाहिए.

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टेंडर से कंपनी चुनने के लिए की गई फाइनेंशियल बिड में केवल दो कंपनियों ने हिस्सा लिया. जबकि नियमानुसार बिड में कम से कम 3 कंपनियां होनी चाहिए.  2003 में डीडीए ने डीएमआरसी को जमीन दी. 2017 में खुद डीडीए ने जमीन एग्रीमेंट से इंकार किया.

आजतक के ईमेल पर आरोपों से किया इनकार

हालांकि आजतक की तरफ से भेजे गए ईमेल के जवाब में डीएमआरसी ने इन सभी आरोपों से इनकार कर दिया. डीएमआरसी ने कहा कि उन्होंने सभी नियमों और कानूनों का पालन किया है. वहीं कागजों में मौजूद गड़बड़ियां गंभीर अनियमितताएं दर्शा रही हैं. यही वजह है कि अब इंडिया अगेंस्ट करप्शन के कार्यकर्ता इस मामले को सीबीआई से लेकर हाईकोर्ट तक ले जाने की बात कह रहे हैं.

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