नोटबंदी से अब किसान हुए परेशान, मंडी में नहीं मिल रहा कैश

नरेला मंडी में नोटबंदी से किसान, मजदूर और व्यापारी तीनों के सामने संकट खड़ा तो है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर कब तक यही स्थिति रहेगी क्योंकि नोटबंदी को महीना भर बीत चुका है और हालात वैसे नहीं हैं जैसै सरकार ने सोचे थे.

Advertisement
नोटबंदी से अब किसान हुए परेशान नोटबंदी से अब किसान हुए परेशान

रवीश पाल सिंह / सुरभि गुप्ता

  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 6:50 AM IST

बैंकों की कतार से होता हुआ नोटबंदी का असर अब धरतीपुत्र कहे जाने वाले किसानों पर पड़ रहा है. नरेला मंडी में धान की उपज लेकर आने वाले किसानों को व्यापारी नगद भुगतान नहीं दे रहे हैं, जिसके कारण वो फसल के परिवहन पर होने वाला खर्चा भी नहीं निकाल पा रहे. वहीं दूसरी तरफ बीज और खाद के लिए भी रुपये ना होने के कारण उनके सामने अगली फसल का संकट खड़ा हो गया है.

Advertisement

इन दिनों दिल्ली की नरेला मंडी में देश के अलग-अलग हिस्सों से किसान उनकी धान की फसल लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन कैश की कमी ने उनके सामने कई तरह की परेशानियां खड़ी कर दी हैं.

यूपी के सिरसागंज से किसान हरीश यादव धान की उपज लेकर नरेला मंडी पहुंचे, लेकिन नोटबंदी का ऐसा असर पड़ा कि अब घर वापस जाने के लाले पड़ गए हैं. फसल का दाम कैश में नहीं मिला, जिससे अब जिस ट्रक में उपज लेकर आए अब उसके डीजल और ड्राइवर की पेमेंट नहीं हो पा रही. व्यापारी कैश की बजाए चेक में भुगतान करने को तैयार तो हैं, लेकिन अगले तीन दिनों तक बैंक बंद होने के कारण सवाल ये है कि चैक को भुनाए कैसे.

कुछ ऐसी ही परेशानी सोनीपत से आए जगवीर सिंह और मथुरा से आए निहाल सिंह नाम के किसानों की भी है. ये भी फसल लेकर आए तो हैं, लेकिन अब दिक्कत है कि कैश नहीं मिल रहा. ऐसे में इनके सामने संकट इस बात का है कि गेंहू की फसल के लिए जो बीज और खाद लाना है उसके लिए पैसा कहां से आएंगे.

Advertisement

किसान की परेशानी के अलावा व्यापारियों की अपनी परेशानी है. परेशानी ये कि खुद उनके पास कैश नहीं है, इसलिए वो चेक से भुगतान कर रहे हैं लेकिन वो खुद मान रहे हैं कि चेक से किसान पूरे पैसे नहीं निकाल पा रहा.

कुल मिलाकर नरेला मंडी में नोटबंदी से किसान, मजदूर और व्यापारी तीनों के सामने संकट खड़ा तो है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर कब तक यही स्थिति रहेगी क्योंकि नोटबंदी को महीना भर बीत चुका है और हालात वैसे नहीं हैं जैसै सरकार ने सोचे थे.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement