MCD चुनाव: हर पार्टी ने जाति फैक्टर देखकर चुने दावेदार

दिल्ली के 20 विधानसभा क्षेत्र जिसमें बाहरी दिल्ली और दिल्ली देहात के लगभग 80 वार्ड शामिल हैं, यहां के जातीय समीकरण बहुत अहम हैं.

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अंकित यादव

  • नई दिल्ली,
  • 05 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 11:04 PM IST

दिल्ली में MCD चुनाव का बिगुल बज गया है. बीजेपी, कांग्रेस और आप तीनों पार्टियां चुनाव जीतने के लिए जोर लगा रही हैं. दिल्ली के 20 विधानसभा क्षेत्र जिसमें बाहरी दिल्ली और दिल्ली देहात के लगभग 80 वार्ड शामिल हैं, यहां के जातीय समीकरण बहुत अहम हैं. इन इलाकों की खासियत यह है कि यहां के लोग वोट देते वक्त जातीय समीकरण को सबसे उपर रखते हैं. इसमें दिल्ली में 364 गांव आते हैं.

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दिल्ली की आठ विधानसभाओं मे जाट समीकरण हावी महरौली, मुंडका, रिठाला, नांगलोई, मटियाला, नजफगढ़ और ब्रिजवासन हैं जिसमें जाट बाहुल्य 225 वार्ड हैं. वहीं बदरपुर, तुगलकाबाद, संगम विहार, गोकुलपुरी, घोंडा में गुर्जर वोट ज्यादा है, जिसमें गुर्जर बाहुल्य 70 वार्ड आते हैं. दिल्ली की अनाधिकृत कालोनियों से लेकर बड़े इलाकों तक पूर्वांचली वोट बहुत अहम हैं. जिनमें यादव बाहुल्य 25 वार्ड हैं. पुरानी दिल्ली के कई इलाको में मुस्लिम बाहुल्य वोटर हैं. जिनमें सबसे ज्यादा जाति प्रभावित 80 वार्ड हैं.

आरक्षित वार्ड अनुसूचित जाति के लिए
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के 104 वार्डों में से 20 वार्ड अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. वहीं दक्षिण दिल्ली नगर-निगम के 104 वार्डों में से 15 वार्ड, और पूर्वी दिल्ली नगर-निगम के 64 वार्डों में से 11 वार्ड अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं.

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दिल्ली का बादली विधानसभा यादव बाहुल्य सीट है. यहां से मौजूदा विधायक और पुराने विधायक दोनों इसी जाति के हैं. ऐसे में तमाम वार्डो में इन्हीं के जाति के प्रत्याशी हैं.

उदाहरण के तौर पर, वार्ड 23 समयपुर बादली से बीजेपी के प्रत्याशी सुमन यादव हैं, कांग्रेस से निशा यादव, लेकिन आम आदमी पार्टी ने अंजना धर्मवीर शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है. इस इलाके में तीन गांव हैं तीनो ही यादव बाहुल्य हैं. इनके अलावा इसी जाति से कई निर्दलीय भी चुनाव लड़ रहे है.

इसी तरह नांगलोई इलाका जहां पर जाट बहुल आबादी है. यहां पर पार्टियों ने जाट उम्मीदवारों को जमकर टिकट दिया है. वहीं तुगलकाबाद इलाके में गुर्जर प्रत्याशी हाटसीट पर है. इसी तरह दिल्ली की मंगोलपुरी इलाका यहां पर मिक्स्ड आबादी है लेकिन शेड्यूल कास्ट बहुतायत है. तभी तो यहां ज्यादातर पार्टियों ने जातीय समीकरण को देखकर टिकट दिए हैं.

गौरतलब है कि आम जनता जाति देखकर वोट देती है इसलिए पार्टियां भी जाति देखकर टिकट देती हैं.

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