डिजिटल इंडिया की चमक के बीच डिलीवरी बॉयज की मुश्किलें अब संसद तक पहुंच गई हैं. आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने मंगलवार को संसद में डिलीवरी बॉयज की कमाई और काम की परिस्थितियों का मुद्दा उठाया. उन्होंने एक डिलीवरी बॉय का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे 15 घंटे काम करने और 28 डिलीवरी पूरी करने के बाद भी उसे केवल 763 रुपये मिले.
राघव चड्ढा ने कहा कि इस तरह की परिस्थितियों में भारत डिजिटल इकॉनमी में आगे नहीं बढ़ सकता. उन्होंने सरकार से इस पर गंभीरता से विचार करने की अपील की. जिस डिलीवरी बॉय का जिक्र संसद में हुआ, उनका नाम हिमांशु थपलियाल है. हिमांशु ने सितंबर महीने में सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया था, जिसमें उन्होंने अपने काम और कमाई की सच्चाई बताई थी.
सांसद राघव चड्ढा ने डिलीवरी बॉय का मुद्दा उठाया
आज तक से बातचीत में हिमांशु ने बताया कि यह वीडियो उस समय का है जब वह एक क्विक डिलीवरी कंपनी में काम कर रहे थे. वहां तय समय के भीतर सामान पहुंचाने का दबाव रहता था. उन्होंने कहा कि कई घंटों की मेहनत और दर्जनों डिलीवरी के बाद भी बहुत कम पैसे मिलते थे. इस काम में जोखिम भी बहुत था, क्योंकि समय की पाबंदी के कारण हर वक्त हादसे का डर बना रहता था.
इसके अलावा हिमांशु ने बताया कि उन्होंने करीब पांच से छह महीने तक यह काम किया और फिर इसे छोड़ दिया. अब वह एक ई कॉमर्स कंपनी में पैकेजिंग का काम कर रहे हैं, जहां उन्हें महीने की सैलरी मिलती है. दसवीं तक पढ़े हिमांशु अब घर के कमरे से ही काम करते हैं और खाली समय में रील्स बनाते हैं.
हिमांशु ई कॉमर्स कंपनी में पैकेजिंग का काम कर रहे हैं
हिमांशु ने यह भी बताया कि उनसे वीडियो डिलीट करने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. कुछ समय बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी. अब जब उनका मुद्दा संसद में उठा है, तो उन्हें उम्मीद जगी है कि डिलीवरी बॉयज की आवाज भी सुनी जाएगी.
शालू अवस्थी