दिल्ली: बेबस दुकानदारों की मांग, सीलिंग का हो स्थायी इलाज

दिल्ली के गोकुलपुरी में मनोज तिवारी सीलिंग का ताला तोड़कर सुर्खियों में आ गए. दिल्ली में सीलिंग से आम जनता परेशान है. कई ऐसे लोग हैं जिनके दुकानें सील हो चुकी हैं. ऐसे लोग जाएं तो कहां जाए.

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सीलिंग को लेकर गुस्से में लोग सीलिंग को लेकर गुस्से में लोग

मणिदीप शर्मा / देवांग दुबे गौतम

  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 5:23 AM IST

दिल्ली के गोकुलपुरी में जिस तरह से प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने सीलिंग का ताला तोड़ा उसी के बाद से राजधानी की फिजा में बहस छिड़ गई कि क्या वाकई दिल्ली में सीलिंग का निदान ताला तोड़ने की हीरोपंती में छिपा है या इसका कोई कानूनन समाधान भी है??

ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि उन दुकान और मकान का क्या जो पहले सील हो चुके हैं. उनके दुख को आवाज़ कौन देगा. उनके दर्द को बयां कौन करेगा. दिल्ली के गांधीनगर में हमने कुछ लोगों से बात की.

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40 साल के वकी अंसारी की दुकान कुछ महीने पहले एमसीडी ने सील कर दी थी. बिन बताए, बिन नोटिस दिए एमसीडी के कर्मचारी आए और ताला लगा दिए.अपने दर्द की कहानी बताते हुए वकी अंसारी की आंखों से आंसू छलक आए.

54 साल के मामचंद का भी वही दर्द है जो अनेकों लोगों का है. मामचंद बताते हैं कि रोजी रोटी के लाले पड़ रहे हैं, क्योंकि सीलिंग के चलते उनका सारा सामान सील के ताले में कैद हो गया है. एमसीडी दफ्तर के खूब चक्कर काटे मगर नतीजा कुछ नहीं निकला.  

वकी अंसारी और मामचंद जैसे हजारों लोग दिल्ली में हैं जिनके घर दुकान एमसीडी ने सील किए हैं. उन सभी का कहना है कि राजनेता सिर्फ अपनी राजनीति कर रहे हैं और इस समस्या का स्थाई इलाज निकालना नहीं चाह रहे हैं.

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जाहिर है बेशक मनोज तिवारी ने ताला तोड़कर सीलिंग की बहस को दिल्ली में नई दिशा दे दी है मगर अब आवाजें उठने लगी हैं कि उन घर दुकान का क्या जो सीलिंग की कार्रवाई में बंद हो चुकी हैं.

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