दिल्ली की 7वीं विधानसभा में कम रही बैठकों की संख्या, NGO ने रिपोर्ट में किया दावा

सातवीं दिल्ली विधानसभा ने 2020 में अपने पहले वर्ष 2015 में अपने पहले वर्ष की तुलना में कम बैठकें कीं. एक एनजीओ की रिपोर्ट में शुक्रवार को इस बात का दावा किया किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमुख मुद्दों को बैठक में उठाए जाने के मामलों में गिरावट आई है.

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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (FILE-ANI) दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (FILE-ANI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 9:24 AM IST
  • विधानसभा की बैठकों की संख्या में 69 प्रतिशत की गिरावट
  • विधायकों की उपस्थिति में तीन प्रतिशत की गिरावट

दिल्ली विधानसभा ने 2020 में वर्ष 2015 की तुलना में कम बैठकें कीं. एक एनजीओ की रिपोर्ट में शुक्रवार को इस बात का दावा किया किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमुख मुद्दों को बैठक में उठाए जाने के मामलों में गिरावट आई है.

एजेंसी के अनुसार, मुंबई स्थित प्रजा फाउंडेशन ने एक ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान 'राज्य विधानसभा सत्रों में दिल्ली के विधायकों के विचार-विमर्श' पर अपनी रिपोर्ट जारी की. इसमें एक बयान भी जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि प्रजा फाउंडेशन ने दिल्ली के विधायकों के विचार-विमर्श का विश्लेषण किया, उनकी पार्टियों द्वारा किए गए घोषणापत्र के वादों के साथ उनके विचार-विमर्श की तुलना की. मौजूदा समस्याओं में व उनका समाधान देखा.

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रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2020 में सातवीं विधानसभा (वर्तमान कार्यकाल) के पहले वर्ष में 2015 की तुलना में केवल आठ विधानसभा बैठकें हुईं, छठी विधानसभा के पहले वर्ष में 26 बैठकें हुई थीं.

बयान में कहा गया है कि 2015 (छठी विधानसभा का पहला वर्ष) से ​​2020 (सातवीं विधानसभा का पहला वर्ष) तक विधानसभा की बैठकों की संख्या में 69 प्रतिशत की गिरावट देखी गई. 2015 (90 प्रतिशत उपस्थिति) से 2020 (87 प्रतिशत उपस्थिति) तक विधानसभा की बैठकों में विधायकों की उपस्थिति में तीन प्रतिशत की गिरावट आई है.

2015 में 963 मुद्दे उठे थे, इस बार केवल 55

एनजीओ, जो सांसदों, पार्षदों आदि पर रिपोर्ट जारी करने के लिए जाना जाता है, उसने यह भी दावा किया कि स्वास्थ्य पर उठाए गए मुद्दों में 83 प्रतिशत की कमी आई, 2015 में 66 से 2020 में केवल 11 तक.

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प्रजा फाउंडेशन के निदेशक मिलिंद म्हस्के ने कहा कि यह देखा गया है कि 2020 में COVID-19 के दौरान, 2015 में उठाए गए 963 मुद्दों की तुलना में कुल केवल 55 मुद्दे उठाए गए थे. उन्होंने कहा कि यह COVID-19 जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए दिल्ली जैसे शहरों की तैयारियों पर असर डालता है.

समस्याओं के निदान के लिए दिए हैं सुझाव

प्रजा फाउंडेशन के संस्थापक और प्रबंध ट्रस्टी निताई मेहता ने कहा कि इस दिशा में संस्था ने दिल्ली में उपलब्ध प्रमुख सेवाओं की स्थिति के साथ-साथ दिल्ली विधानसभा में निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा विचार-विमर्श के रुझानों का पता लगाया. समस्याओं के निदान के सुझाव दिए हैं. संविधान की 12वीं अनुसूची में उल्लिखित स्थानीय महत्व के सभी 18 कार्यों के वितरण के लिए शहर सरकार की नोडल एजेंसी होना चाहिए.

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