Severe spike in Delhi air pollution: उत्तर भारत के राज्यों में कई दिनों तक बारिश के बाद अब मौसम शुष्क हो रहा है. इसके साथ ही दिल्ली-एनसीआर और इसके आसपास के इलाकों में बढ़ते प्रदूषण ने चिंता बढ़ा दी है. दरअसल, IIT दिल्ली में वायु गुणवत्ता पर हुई वर्कशॉप में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि बारिश की वजह से जो पराली नहीं जलाई गई, वो अब एक साथ जलाई जाएगी, जिससे दिल्ली-एनसीआर और गंगा के आसपास के मैदानी इलाकों में तेजी से प्रदूषण बढ़ेगा.
बारिश के चलते नहीं जलाई गई पराली
स्वीडन की गोथेनबर्ग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ रविकांत पाठक ने कहा कि प्रदूषण के स्तर में वृद्धि की आशंका को वैज्ञानिक रूप से मैप किया गया है. इसके मुताबिक, बारिश की वजह से 15-20 दिनों तक जो पराली नहीं जलाई जा सकी, उसे अब एक साथ जलाया जाएगा. किसान लंबे समय से बारिश के बाद पराली सूखने का इंतजार कर रहे हैं. एक-साथ पराली जलाने से हवा में हानिकारक प्रदूषक फैलेंगे.
प्रदूषण के स्तर में होगी 30-70 प्रतिशत की वृद्धि
प्रोफेसर के मुताबिक, आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में 30-70 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है क्योंकि अगली फसल का मौसम तेजी से आ रहा है. इसके लिए पराली सूखते ही किसान इसे जला देंगे. बता दें आईआईटी दिल्ली में 10 और 11 अक्टूबर को एयर क्वालिटी पर हुई वर्कशॉप में कई देशों के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने हिस्सा लिया.
वैज्ञानिकों ने बताया प्रदूषण को रोकने का तरीका
इससे बचाव पर बात करते हुए प्रोफेसर पाठक ने कहा, "वायु प्रदूषण में स्पाइक को तुरंत रोकने का एकलौता तरीका ये है कि सरकार किसानों से सभी पराली ले ले और इसे जैव ईंधन के रूप में बिजली पैदा करने के लिए उपयोग करे. अन्य तरीकों में ज्यादा समय लगने की संभावना है, क्योंकि पराली को खेतों में मिलाया जाता है जिससे मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर होती है. हालांकि अगली फसल में कम समय रहने के चलते इस तरीके को नहीं अपनाया जा सकता. हालांकि दिल्ली में प्रदूषण की वजह वाहन और औद्योगिक प्रदूषण भी है, लेकिन प्रदूषण में तेजी से बढ़ोत्तरी की सबसे बड़ी वजह पराली ही है.
बारिश के दौरान बेहतर रही देश के कई राज्यों की हवा
बता दें कि पिछले हफ्ते की राहत के बाद दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता एक बार फिर खराब हो रही है. हालांकि, 12 अक्टूबर तक यहां प्रदूषण का स्तर (AQI) 120 से 188 के साथ 'मध्यम' श्रेणी में रहा था.
अभिषेक आनंद