Delhi MCD Election 2022: दिल्ली में एमसीडी चुनाव के लिए सियासी पार्टियां तैयारियों में जुट गई हैं. महारौली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले वार्ड्स पर भी उनकी पैनी नजर है. बता दें कि महरौली निर्वाचन क्षेत्र दक्षिण एमसीडी (एसडीएमसी) के अंतर्गत आता है. 2015, 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (एएपी) ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस को हिलाकर रख दिया था और दोनों ही चुनावों में यह विधानसभा सीट जीती. हालांकि, 2017 के नगर निकाय चुनावों में AAP में मतदाताओं को प्रभावित करने में विफल रही. महरौली में तीन नगर पालिका वार्ड हैं- वसंत कुंज, महरौली और लाडो सराय.
वसंत कुंज वार्ड 69S:
वसंत कुंज वार्ड (69S) में लगभग 60 हजार वोटर्स हैं. वर्तमान में बीजेपी के पाले में यह वार्ड है. वसंत कुंज वार्ड दरअसल दो हिस्से में बंटा है. एक तरफ वसंत कुंज का इलाका है, जहां पर दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी (डीडीए) की प्राधिकृत कॉलोनी है. वहीं दूसरी तरफ रजोकरी गांव है. यह मिली-जुली आबादी वाला इलाका है. हालांकि रजोकरी गांव में यादव और जाट समुदाय के वोटर्स ज्यादा हैं. पिछले कुछ एमसीडी चुनावों में बीजेपी ने यहां अपनी मजबूत पकड़ बनाई रखी है.
2017 के एमसीडी चुनाव में बीजेपी के मनोज मेहलावत इस वार्ड में जीत कर आए थे. लेकिन बीच कार्यकाल में ही उनके ऊपर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगे. सीबीआई ने निगम पार्षद मनोज मेहलावत के घर छापा मारा था. उन्हें पैसा लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था. सेंट्रल ब्यरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) ने मनोज मेहलावत को दिसंबर 2020 में गिरफ्तार कर लिया था. बीजेपी ने मनोज मेहलावत को पार्टी प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया था.
इस आरोप पर मनोज मेहलावत का कहना है कि क्षेत्र में उनकी बढ़ती लोकप्रियता के कारण विरोधियों द्वारा राजनीतिक षड्यंत्र रचा गया. उन्हें गलत फंसाया गया है. सीबीआई कोर्ट ने उन्हें बेल भी दे दी है. उन्होंने कहा है कि उन्हें भारत की न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है कि वह एक दिन निर्दोष साबित होंगे और जो षड्यंत्रकारी थे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी. साथ ही उनका कहना है कि उन्होंने क्षेत्र में लगातार अच्छे काम किए हैं. कोरोना के दौर में भी 24 घंटे क्षेत्र ें रहकर लोगों की मदद की. जिसकी बदौलत वह एक बार फिर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं.
इस बार वसंत कुंज वार्ड की सीट आरक्षित है. माना जाता है कि पांच साल पहले जब एमसीडी चुनाव हुए थे. उस वक्त आम आदमी पार्टी (एएपी) का सिविक बॉडी पॉलिटिक्स के लिहाज से इस इलाके उतना दबदबा नहीं था. लेकिन इस बार चुनावी मुकाबला दिलचस्प होने वाला है. कांग्रेस और बीजेपी के साथ-साथ आम आदमी पार्टी ने भी चुनावी मैदान में अपनी कमर कस ली है. और इसका अंदाजा जगह-जगह लगे प्रत्याशियों की रेस में दौड़ लगा रहे नेताओं के पोस्टर वॉर से लगाया जा सकता है.
अतिक्रमण, आवारा कुत्तों और सफाई की समस्या से स्थानीय लोग हैं परेशान
वसंत कुंज वार्ड के आरडब्लूए की अमीना तलवार ने बताया कि यहां पर सबसे ज्यादा समस्या अतिक्रमण को लेकर है. साथ ही उनका कहना है कि वार्ड में साफ-सफाई की थोड़ी समस्या है. आवारा कुत्तों से भी वसंत कुंज के लोग परेशान हैं. रजोकरी गांव के निवासी रोहित यादव ने बताया की उनके इलाके में पानी की सप्लाई सबसे बड़ी समस्या है. अरावली रेंज पर बसे इस गांव में बोरवेल से पानी नहीं निकाला जा सकता है. यहां के लोगों को दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) द्वारा सप्लाई किए जाने वाले पानी और टैंकर के पानी पर निर्भर रहना पड़ता है. हर साल गर्मी के मौसम में यहां के लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता है.
स्थानीय लोगों का आरोप है कि गर्मियों में यहां आज भी पानी के टैंकरों की कालाबाजारी का खेल चलता है. इस गांव में थोड़ी बहुत समस्या सड़कों की भी है. यहां पर कई ऐसी सड़कें हैं जो पिछले 10 सालों से नहीं बनी हैं. मुख्य रुप से नाथूपुरा रोड जिसकी हालत बेहद जर्जर है. इस वार्ड में डीडीए फ्लैट्स के अलावा कई झुग्गियां भी हैं, जहां पर सफाई की समस्या काफी ज्यादा है.
मेहरौली वार्ड 68S
मेहरौली वार्ड (68S) में वोटर्स की संख्या 70 हजार है. मौजूदा समय में इस वार्ड पर बीजेपी का कब्जा है. महरौली विधानसभा का महरौली वार्ड एक ऐतिहासिक वार्ड है. कुतुब मीनार जैसी ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व की कई सारी इमारतें आज भी यहां हैं, जो दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश का गौरव है. महरौली दिल्ली के सबसे पुराने इलाकों में से एक है. और एक जमाने में यहां के बाजार पूरी दिल्ली में सबसे बड़े बाजारों में से एक हुआ करते थे.
कई बार इस वार्ड का परिसीमन बदला गया है. बीते चुनाव के बाद महरौली और किशनगढ़ एक वार्ड बन गया है. इस पूरे वार्ड में एक तरफ भारत का इतिहास है तो दूसरी तरफ गांव के इलाके हैं. महरौली की राजनीतिक इतिहास की बात करें तो यहां के जन प्रतिनिधि दिल्ली के मेयर और विधानसभा के स्पीकर भी चुने गए हैं. पूर्व में दिल्ली के मेयर रहे सतवीर सिंह का महरौली इलाके में काफी दबदबा रहा है. शुरू से ही यह क्षेत्र कांग्रेसियों का गढ़ रहा है. लेकिन बीते दो निगम चुनावों में बीजेपी के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है. साल 2017 के एसीडी चुनाव में मेहरौली वार्ड को महिला के लिए रिजर्व रखा गया था. लेकिन इस बार, महरौली वार्ड जनरल कैटेगरी में वापस आ गया है.
साल 2017 में बीजेपी की आरती सिंह यहां की निगम पार्षद चुनी गई थीं। लेकिन इस बार इस सीट के जनरल होने के कारण राजनीतिक समीकरण बदले-बदले नजर आ रहे हैं. महरौली इलाके में जहां एक तरफ बनिया और मुस्लिम जाति के लोगों का वोट काफी ज्यादा हैं. वहीं दूसरी तरफ किशनगढ़ गांव में जाट समुदाय का वोट सबसे ज्यादा हैं. इस वार्ड में ट्रेडिशनल वोटरों के साथ-साथ किरायेदारों का वोट भी काफी अहम भूमिका निभाता है. किशनगढ़ इलाके में ज्यादातर बिल्डिंगों में दूसरे राज्यों से आए हुए किराएदार रहते हैं, जिनमें हर जाति के वोटर हैं.
टूटी सड़कें, नालियों और ड्रेनेज का ओवरफ्लो आम समस्या
स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस वार्ड में समस्याओं की कोई कमी नहीं है. यहां सड़कें टूटी हुई हैं, नालियां और सीवर ओवरफ्लो यहां पर आम समस्या है. इसका सबसे बड़ा कारण है महरौली इलाके में गलियां बेहद संकरी है और यह घनी आबादी वाला इलाका है. साथ ही महरौली बाजार में आने वाले लोगों के लिए पार्किंग एक बहुत बड़ी समस्या है.
ऐतिहासिक स्थल में कुतुब मीनार और भूल भुलैया जैसे इक्का-दुक्का इमारतों को छोड़ कर यहां पर कई ऐसे पुरातत्व महत्व की इमारतें हैं जिन पर अतिक्रमण हो रहा है.
स्थानीय निवासी विनोद गुप्ता और सुनील घावरी ने बताया महरौली के कई इलाकों में गर्मियां आते ही पानी की समस्या बढ़ जाती है. साथ ही उनका कहना है कि महरौली वार्ड जितना ही ऐतिहासिक है, यहां मिलने वाली सुविधाएं उतनी ही कम है.
लाडो सराय वार्ड 67S
लाडो सराय वार्ड में भी मतदताओं की संख्या करीब 70 हजार है. वर्तमान में यह वार्ड आम आदमी पार्टी (एएपी) के पाले में है. साउथ दिल्ली में लाडो सराय वार्ड एक ऐसा वार्ड है, जहां पर हर तरह की आबादी रहती है यानी पॉश इलाके की बात करें तो साकेत और वसंतकुंज का कुछ हिस्सा और गांव की बात करें तो लाडो सराय, कटवारिया सराय, बेर सराय के साथ झुगियां और कुसुमपुर पहाड़ी जैसे इलाके भी हैं.
नए परिसीमन के बाद लाडो सराय वार्ड जनरल हो गया है. इससे पहले यह वार्ड अति पिछड़ी जाति के लिए रिजर्व था. साल 2017 में यहां से आम आदमी पार्टी की महिला प्रत्याशी किशंवती जीत कर आई थी. इस बार इस सीट पर चुनौती हर पार्टी के लिए काफी ज्यादा रहेगी क्योंकि इस वार्ड को जीतने के लिए पॉश इलाकों के साथ-साथ गांव और झुगियों के वोटर्स का भी दिल जीतना बहुत जरूरी होगा.
इस वार्ड में कुसुमपुर पहाड़ी काफी अहम इलाका है, लेकिन यहां के निवासियों को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. कुसुमपुर पहाड़ी में 12 महीने पानी की समस्या बनी होती है. यहां लगभग हर घर के आगे, सड़कों पर, पानी के खली डब्बे दिखाई देते हैं. कुसुमपुर पहाड़ी में सफाई की बेहद कमी है और नालियों का बुरा हाल है. इस वार्ड के पॉश इलाकों की अगर बात करें तो यहां रेसिडेंट्स की मुख्य समस्या आवारा कुत्तों की है. लाडो सराय के रहने वाले जीत सिंह ने बताया के यहां सीवर अक्सर जाम हो जाता है सीवर का पानी चारों तरफ सड़कों पर फैला रहता है.
(अमरदीप कुमार के इनपुट के साथ)
अमित भारद्वाज