अवमानना की कार्रवाई से बचना है, तो बिना शर्त माफी मांगें गुरुमूर्तिः दिल्ली हाई कोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े एस. गुरुमूर्ति को अवमानना से बचने के लिए बिना शर्त माफी मांगने का मौका दिया है. आईएनएक्स मीडिया मामले में पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को जमानत मिलने के बाद गुरुमूर्ति ने ट्वीट करते हुए न्यायमूर्ति मुरलीधर पर सवाल उठाए थे.

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आरबीआई बोर्ड के मेंबर एस. गुरुमूर्ति (फाइल फोटो-इंडिया टुडे) आरबीआई बोर्ड के मेंबर एस. गुरुमूर्ति (फाइल फोटो-इंडिया टुडे)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 8:13 AM IST

  • अवमानना केस में गुरुमूर्ति को बिना शर्त माफी मांगने का मौका
  • गुरुमूर्ति ने ट्वीट करते हुए जस्टि मुरलीधर पर उठाए थे सवाल

दिल्ली हाईकोर्ट ने आरबीआई बोर्ड के मेंबर और आरएसएस से जुड़े एस. गुरुमूर्ति को अवमानना से बचने के लिए बिना शर्त माफी मांगने का मौका दिया है. आईएनएक्स मीडिया मामले में पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को जमानत मिलने के बाद गुरुमूर्ति ने ट्वीट करते हुए न्यायमूर्ति मुरलीधर पर सवाल उठाए थे.

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गुरुमूर्ति ने कहा था कि क्या न्यायमूर्ति मुरलीधर पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के जूनियर थे. इसके बाद न्यायमूर्ति मुरलीधर ने साफ किया था कि उनके पी चिदंबरम के साथ किसी भी तरह के कोई रिश्ते नहीं हैं. उन्होंने पी चिदंबरम के जूनियर के रूप में भी कभी काम नहीं किया है.

गुरुमूर्ति के खिलाफ अवमानना की शिकायत दी गई थी. न्यायमूर्ति मुरलीधर और न्यायमूर्ति आईएस मेहता की पीठ ने आईएनएक्स मीडिया मामले में सुनवाई करते हुए कार्ति चिदंबरम को गिरफ्तारी से राहत दी थी.

इसके बाद हाईकोर्ट ने मामले में खुद संज्ञान लिया था और गुरुमूर्ति को नोटिस जारी किया था. इस मामले की सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट सुधांशु बत्रा ने कहा था कि गुरुमूर्ति को न्यायमूर्ति मुरलीधर के खिलाफ किए गए अपने ट्वीट को लेकर न ही पछतावा और न ही उन्होंने बिना शर्त माफी नहीं मांगी है.

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वहीं, गुरुमूर्ति की पैरवी करते हुए सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने कहा कि गुरुमूर्ति पहले ही साफ कर चुके हैं कि उन्होंने अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया है. ट्वीट की प्रकृति के सवाल पर न्यायमूर्ति भंभानी ने कहा कि अनौपचारिक सभा में दिए जा रहे बयान और सार्वजनिक पोर्टल पर की गई टिप्पणी में बड़ा अंतर होता है.

न्यायमूर्ति भंभानी ने कहा कि समस्या है कि यह सवाल सार्वजनिक मंच या पोर्टल पर पूछा गया और इसकी वजह से पलभर में अफवाह को पैर लग जाते हैं. यहां तक कि यदि आप (गुरुमूर्ति) ट्वीट डिलीट भी कर चुके हैं तो भी इसका असर कायम रहता है. इस तरह की सूचनाएं पलभर में दुनिया में फैल जाती हैं.

बात को आगे बढ़ाते हुए न्यायमूर्ति सिस्तानी ने गुरुमूर्ति के वकील महेश जेठमलानी से पूछा कि क्या वह वास्तव में सोचते हैं कि न्यायाधीश सिर्फ इसलिए प्रभावित होंगे क्योंकि वे किसी के घर गए थे या कभी किसी के साथ काम किया था. उन्होंने जेठमलानी से पूछा कि क्या उन्हें उन सभी लोगों के नाम याद हैं जिन्होंने उनके (चिदंबरम) अधीन काम किया है. अदालत ने गुरुमूर्ति को अपना माफीनामा लंच बाद पेश करने का मौका दिया था, लेकिन वह कर नहीं पाए. अब इस मामले की सुनवाई 10 दिसंबर को होगी.

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