कोविड वैक्सीन के एक्सपोर्ट पर रोक लगाने से दिल्ली HC का इनकार, कहा- अपने फैसले लेने में केंद्र सरकार सक्षम

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 60 साल से अधिक उम्र के वकील और 45 साल के ऊपर के वो वकील जिन्हें गंभीर बीमारियां हैं, वरीयता के आधार पर उन्हें कोविड वैक्सीन दी जा रही है. लेकिन केंद्र सरकार किसी के प्रोफेशन के आधार पर वैक्सीन लगवाने के लिए उसे वरीयता नहीं दे सकती.

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दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो) दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो)

पूनम शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 10 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 2:13 PM IST
  • केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल ने दी दलीलें
  • दिल्ली हाईकोर्ट ने 19 मार्च तक टाली सुनवाई

वकील और जजों को भी फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणी में डाल कर कोविड वैक्सीन देने से संबंधित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता ने वैक्सीन के एक्सपोर्ट पर अगली सुनवाई तक रोक लगाने की मांग की, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने कोरोना वैक्सीन के एक्सपोर्ट पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि सरकार इस मसले पर अपना फैसला लेने में सक्षम है. हालांकि, कुछ अखबारों में इस तरह की खबरें आई हैं कि कोविड वैक्सीन का एक्सपोर्ट उन देशों में भी किया जा रहा है जिनकी हमसे मित्रता नहीं है.

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केंद्र की ओर से कहा गया कि कोर्ट में कोई बयान देकर सरकार इस मामले को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहती. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 60 साल से अधिक उम्र के वकील और 45 साल के ऊपर के वो वकील जिन्हें गंभीर बीमारियां हैं, वरीयता के आधार पर उन्हें कोविड वैक्सीन दी जा रही है. लेकिन केंद्र सरकार किसी के प्रोफेशन के आधार पर वैक्सीन लगवाने के लिए उसे वरीयता नहीं दे सकती.

केंद्र ने अपनी बात कोर्ट में रखते हुए कहा कि ऐसा भी नहीं है कि हम वैक्सीन बना रहे हों और उसे विदेश भेज रहे हों. हम 1 फरवरी से लगातार लोगों को वैक्सीन लगा रहे हैं. दिल्ली बार काउंसिल ने कहा कि जब आर्म्ड फोर्सेज, म्यूनिसिपैलिटी के लोग और यहां तक की रेवेन्यू डिपार्टमेंट के लिए काम करने वाले उन कर्मचारियों को भी फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणी में रखा गया है जो ऑफिस से काम कर रहे हैं तो फिर वकील और जज जो कोर्ट रूम में आ रहे हैं और लगातार हर रोज नए लोगों की भीड़ के बीच काम करते हैं उनको फ्रंटलाइन वर्कर्स में क्यों शामिल नहीं किया जाए.

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केंद्र सरकार ने कहा कि हम फिलहाल सभी डॉक्टर्स को भी वैक्सीन नहीं दे रहे हैं फिलहाल सिर्फ उन्हीं डॉक्टर्स को वैक्सीन दी जा रही है जो या तो करोना के मरीजों का इलाज कर रहे हैं, या फिर 45 साल और 60 साल वाली कैटेगरी में आते हैं. कोर्ट ने कहा कि जैसे-जैसे फिजिकल हियरिंग के केस कोर्ट में बढ़ रहे हैं वैसे ही यहां आने वाले लोगों की तादाद भी बढ़ रही है ऐसे में कोरोना से संक्रमित होने का खतरा भी बढ़ रहा है. केंद्र ने कहा कि वह इस बात से इनकार नहीं करते. तुषार मेहता ने हाईकोर्ट से कहा कि क्योंकि सुप्रीम कोर्ट भी इसी तरह की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है लिहाजा इस मामले में सुनवाई 15 मार्च तक के लिए टाल दी जाए.

कोर्ट ने फिलहाल इस मामले में बार एसोसिएशन को कहा है कि वह 45 और 60 साल की कैटेगरी में आने वाले वकीलों को वरीयता के आधार पर कोविड के लिए वैक्सीन दिलाने की शुरुआत करें. वहीं, सीरम इंस्टीट्यूट ने कोर्ट को बताया कि वैक्सीन की 60 मिलियन डोज हर महीने तैयार की जा रही है और सरकार को अब तक 48 मिलियन डोज की आपूर्ति की भी जा चुकी है. स्वास्थ्य मंत्रालय को भारत के बाहर भेजने के लिए 51 मिलियन डोज दी गई है. भारत बायोटेक ने कोर्ट को बताया कि उनके पास अब तक का डेटा नहीं है. हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई 19 मार्च तक के लिए टाल दी है.

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