दिल्ली गौशाला: ना सरकारी मदद, ना खाने को चारा, कैसी होगी गौमाता की सेवा?

गौशालाओं में जगह की कमी की वजह से सीजन में चारा स्टोर नहीं हो पाता. लिहाजा चारा खत्म होते ही उन्हें अधिक दाम में खरीदना पड़ता है. गायों की बढ़ती तादाद से प्रबंधन के लिए गौशाला के खर्चे चलाना मुश्किल हो गया है. गायों के सामने चारे के संकट से गौशाला प्रबंधन परेशान है कि उन्हें चारा  खिलाएं क्योंकि उनके पास बजट है ही नहीं.

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राम किंकर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 21 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 9:24 PM IST

दिल्ली सरकार जहां एक तरफ गौशालाओं को बढ़ावा देने और जानवरों के कल्याण के तमाम दावे कर रही है इसके उलट, दिल्ली के हरेवली स्थित गौशालाओं में चारे की भयानक किल्लत हो गई है. गौशाला प्रबंधन को पंजाब की चीमा मंडी से चारा खरीदना पड़ रहा है वो भी डबल दाम पर. आमतौर पर जो चारा ढाई से तीन रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिल जाता था उसके लिए गौशाला प्रबंधन को अब 6: 30 रुपये प्रति किलो देना पड़ रहा है.  दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर स्थित गोपाल गौ सदन गौशाला के मैनेजर राष्ट्रपाल ने बताया,  "गौशाला में जगह कम है, डेढ़ साल से दिल्ली सरकार ने फंड नहीं दिया और गोवंश ज्यादा होने से गौशाला के चारा गोदाम खाली पड़े हैं, अगर सरकार वक्त रहते पैसा दे देती तो सीजन में ही चारा स्टोर कर लिया जाता."

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15 एकड़ में फैली इस गौशाला की क्षमता केवल 3200 गोवंश रखने की है जबकि यहां पर 4500 गाएं रह रही हैं. यही वजह है कि अब गौशाला ने MCD की गाएं लेने से मना कर दिया और अब दिल्ली के एलजी से और सरकार से गौशाला के लिए और जमीन की मांग की है.

गौशालाओं में जगह की कमी की वजह से सीजन में चारा स्टोर नहीं हो पाता. लिहाजा चारा खत्म होते ही उन्हें अधिक दाम में खरीदना पड़ता है. गायों की बढ़ती तादाद से प्रबंधन के लिए गौशाला के खर्चे चलाना मुश्किल हो गया है. गायों के सामने चारे के संकट से गौशाला प्रबंधन परेशान है कि उन्हें चारा  खिलाएं क्योंकि उनके पास बजट है ही नहीं.

दिल्ली सरकार के  तहत आने वाली 5 गौशालाएं किस तरह से अमीरों के दान पर चल रही हैं ये आप इस तरह से समझ सकते हैं. हरेवली गांव स्थित गोपाल गौसदन में 3225 गायों के रहने की क्षमता है, यहां पर इस वक्त 4 हजार गायें हैं. आचार्य सुशील मुनि गौशाला घुम्मनहेड़ा में 4085 गायों के रहने की क्षमता है. यहां पर गायों की ज्यादा मौतें होने की वजह से फिलहाल इसको खाली करा दिया गया है. श्री कृष्णा गौशाला में 7740 गायों के रहने की क्षमता है लेकिन यहां पर 8500 गायें रखी जा रही हैं. सुरहेरा में हरेकृष्ण गौशाला में 2794 गायों को रखने की क्षमता है, लेकिन यहां पर लगभग दोगुनी गायें हैं. रेवला खानपुर गौशाला में 3440 गायों को रखने की क्षमता है, लेकिन गौशाला ने अब यहां गायों को रखना बंद कर दिया है.

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बता दें कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 17 जनवरी बवाना की श्री कृष्ण गौशाला का दौरा किया और दावा किया कि यहां पानी का इंतज़ाम किया जाएगा. एमसीडी पर निशाना साधते हुए उन्होंने 12 करोड़ का बकाया फंड भी जारी कराने की बात कही थी.

गौशाला की देखरेख करने वाले लोग मुख्यमंत्री केजरीवाल के इस दौरे से खुश तो हुए लेकिन उनकी मांग है कि सरकार गायों की देखरेख के लिए दिए जा रहे खर्च को बढ़ाए. गौशाला प्रबंधक राजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा है कि प्रति गाय की देखरेख के लिए मिलने वाली राशि को 20 रुपये से बढ़ाकर 80 रुपये किया जाना चाहिए.

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