दिवाली पर दिल्ली में प्रदूषण को लेकर कई उपाय किए जा रहे हैं लेकिन सभी उपायों को पूर्वी दिल्ली की गाजीपुर लैंडफिल साइट मुंह चिढ़ा रही है. पटाखों से होने वाले प्रदूषण से पहले ही पूर्वी दिल्ली की जनता जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर है क्योंकि गाजीपुर लैंडफिल साइट पर अभी भी कई जगहों पर आग लगी हुई है और उसमें से खतरनाक धुंआ पूरे इलाके में फैल रहा है.
आज तक की टीम ने बुधवार को जब गाजीपुर लैंडफिल साइट का दौरा किया तो पाया कि जिस जगह पर हादसा हुआ था वहां और जिस जगह पर हादसे के बाद कूड़ा डालना दोबारा शुरू किया गया वहां आग लगने से काफी ज़्यादा धुआं हो रहा है, कूड़े का पहाड़ धुएं के आगोश में है. जब एमसीडी से इस बारे में बात की गई तो अधिकारियों ने रटा रटाया सा जवाब दिया. नगम अधिकारियों के मुताबिक ये प्राकृतिक कारणों से होता है क्योंकि लैंडफिल साइट पर मीथेन गैस बनती है और उसमें जल्दी आग भी लग जाती है.
कई बार मौसम गर्म होने के कारण या छोटी सी चिंगारी से भी गैस में आग लग जाती है. इसके साथ ही कूड़े के ढेर के नीचे भी कई दिनों तक आग जलती रहती है जो हवा को और जहरीला बनाती है. निगम अधिकारियों के मुताबिक क्योंकि लैंडफिल साइट की ऊंचाई करीब 50 मीटर है और उसमें आग लगने पर उसे बुझाने के लिए जो पाइप बिछाया जाता है उसमें वक्त लग जाता है जिससे तेज़ी से फैलती आग पर काबू पाना आसान बेहद मुश्किल हो जाता है.
पास की कॉलोनियों में लोग परेशान
गाजीपुर लैंडफिल साइट पर लगी आग से जो धुआं निकल रहा है उससे सबसे ज़्यादा परेशान लैंडफिल साइट के पास की कॉलोनियों में रहने वाले लोग हैं. यहां रहने वाले निशांत की मानें तो धुएं के चलते सांस लेने में दिक्कत आती है क्योंकि शाम के वक्त हवा का रुख कॉलोनी की तरफ रहता है और धुएं के चलते लोग घरों से बाहर निकलने में कतराते हैं. निशांत अकेले नहीं जो धुएं से परेशान हैं बल्कि पास की मुल्ला कॉलोनी और राजबीर कॉलोनी में रहने वाले बुज़ुर्गों को धुएं के चलते खांसी की तकलीफ हो रही है.
अब प्रदूषण के चलते सुप्रीम कोर्ट ने भले ही दिल्ली में पटाखे बेचने पर बैन लगा दिया है लेकिन बड़ा सवाल ये है कि गाजीपुर लैंडफिल साइट पर लगी आग से जो जहरीला धुआं फैल रहा है उसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई कब होगी.
रवीश पाल सिंह