यूपी विजय के बाद अब MCD चुनाव जीतने के लिए BJP चलेगी ये दांव

एमसीडी चुनाव जीतना बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर है, क्योंकि दिल्ली में पार्टी की हालत अच्छी नहीं है और दो साल पहले ही विधानसभा में चुनाव में आम आदमी पार्टी के हाथों करारी हार मिली थी. इसीलिए बीजेपी ने एक ऐसा दांव चलने की तैयारी की है, जिससे पिछले दस साल से सत्ता वाली एमसीडी उसके हाथ से न फिसल पाए.

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दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी

कपिल शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 14 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 3:47 AM IST

यूपी में बीजेपी ने जबरदस्त जीत हासिल की है. जीत से पार्टी के हौसले भी सातवें आसमान पर हैं. अगला मैच दिल्ली एमसीडी चुनाव का है. एमसीडी चुनाव जीतना पार्टी के लिए टेढ़ी खीर है, क्योंकि दिल्ली में पार्टी की हालत अच्छी नहीं है और दो साल पहले ही विधानसभा में चुनाव में आम आदमी पार्टी के हाथों करारी हार मिली थी. इसीलिए बीजेपी ने एक ऐसा दांव चलने की तैयारी की है, जिससे पिछले दस साल से सत्ता वाली एमसीडी उसके हाथ से न फिसल पाए.

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बीजेपी का MCD फॉर्मूला
दिल्ली बीजेपी के फार्मूले के मुताबिक पार्टी एकदम नए और युवा चेहरों के साथ मैदान में उतरेगी. दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी को अपनी इस योजना के लिए हाईकमान से हरी झंडी भी मिल गई है. मनोज तिवारी के मुताबिक पार्टी अच्छे उम्मीदवारों का चुनाव करेगी, जो न सिर्फ जमीनी स्तर पर काम करने वाले हों, बल्कि उनकी ग्राउंड रिपोर्ट भी ठीक हो. तिवारी के मुताबिक नए चेहरों से एमसीडी के कामकाज में नई ऊर्जा और उत्साह लाया जा सके, इसीलिए ये फैसला किया गया है.

हालांकि सूत्रों के मुताबिक इस फैसले के पीछे असल वजह कुछ और है. पहली तो ये कि पिछले दस साल से एमसीडी में बीजेपी काबिज है. सत्ता विरोधी लहर को कमजोर करने के लिए बीजेपी अपने पुराने पार्षदों को मैदान से हटाना चाहती है. ताकि नए चेहरों के साथ पार्टी नई योजनाओं और नए वादों को लेकर जनता के बीच जा सके.

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दूसरा बड़ा कारण भी इसी से जु़ड़ा है और वो ये कि दिल्ली सरकार में काबिज आम आदमी पार्टी एमसीडी में बीजेपी के नाकारापन और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाती रही है. एमसीडी चुनाव में भी उसका फोकस इसी बात पर रहने वाला है. ताकि एंटी इन्कम्बेंसी के मुद्दे को भुनाया जा सके. ऐसे में बीजेपी पुराने पार्षदों के टिकट काटेगी, तो उसे नए और युवा चेहरों के जरिए वोटरों को लुभाने का मौका मिल जाएगा. इसके साथ ही सूत्रों के मुताबिक पार्टी मौजूदा पार्षदों के करीबी रिश्तेदारों को भी टिकट दिए जाने पर पाबंदी लगा सकती है.

दिल्ली में अप्रैल महीने में ही एमसीडी के चुनाव होंगे और अब चुनावों का ऐलान कभी भी हो सकता है. ऐसे में बीजेपी के लिए मौजूदा पार्षदों को पूरी तरह से बदलने का फैसला न सिर्फ सियासी तौर पर बड़ा कदम है, बल्कि जोखिम भरा भी हो सकता है. ऐसा इसिलए, क्योंकि अगर बीजेपी ये फार्मूला लागू करती है, तो एमसीडी की सियासत में सालों से सक्रिय कई दिग्गज नेताओं के रास्ते बंद हो जाएंगे. जाहिर है पार्टी ने फैसला कर तो लिया है, लेकिन इससे भीतरी घमासान का भी खतरा है.

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