देश में जाति आधारित अत्याचार की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में दलितों पर तीन अलग-अलग मामलों में शर्मनाक अत्याचार हुए हैं, जिन्होंने समाज को झकझोर दिया है.
पहला मामला मध्य प्रदेश के कटनी जिले से सामने आया है. यहां दलित युवक राजकुमार चौधरी ने बताया कि उसने गांव में हो रहे अवैध खनन का विरोध किया था. इस पर सरपंच रामानुज पांडे, उसके बेटे पवन पांडे और भतीजे सतीश पांडे ने रास्ते में रोककर उसे पीटा और उसके मुंह पर पेशाब कर दिया. पुलिस ने शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
दूसरा मामला मध्य प्रदेश के ही भिंड जिले का है. यहां ज्ञान सिंह जाटव नाम के दलित युवक ने आरोप लगाया कि उसने दबंगों की गाड़ी चलाने से मना किया तो सोनू बरुआ, आलोक शर्मा और छोटू ने उसे अगवा कर पीटा और पेशाब पिलाने की कोशिश की. पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.
दलितों पर शर्मनाक अत्याचार
तीसरा मामला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का है. यहां मंदिर में बैठे एक बीमार दलित बुजुर्ग से स्थानीय ज्वैलरी दुकानदार स्वामीकांत उर्फ पम्मू ने दुर्व्यवहार किया. आरोप है कि उसने बुजुर्ग को पेशाब चाटने के लिए मजबूर किया. घटना के बाद आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
जाति आधारित अत्याचार की घटनाएं
तीनों घटनाओं ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या दलित समाज के साथ होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए कानून का डर खत्म हो चुका है.
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