वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम के जरिए डाले गए वोटों से मिलान करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे पर हमलावर हैं. अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट को लेकर जिस याचिका को खारिज किया है. उसमें हमारी पार्टी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पक्षकार नहीं थी. पीएम को याद रखना चाहिए कि उच्चतम न्यायालय ने भ्रष्टाचार से भरे इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को न केवल अवैध माना था, बल्कि उस असंवैधानिक करार देकर पीएम को करार तमाचा मारा था.
दरअसल, शुक्रवार को EVM-VVPAT पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद पीएम ने बिहार के अररिया में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, आज का दिन लोकतंत्र के लिए खुशी का दिन है. पहले यहां RJD और कांग्रेस के शासन में बैलट पेपर के नाम पर लोगों का हक लूटा जाता था. इनकी सरकार में चुनाव में वोट लूट लिए जाते हैं.
इसलिए ये EVM हटाना चाहते हैं. INDI अलायंस के हर नेता ने EVM को लेकर जनता के मन में संदेह पैदा करने का पाप किया है. अभी 2 घंटे पहले इन लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी लताड़ लगाई है. करारा तमाचा मारा है कि ये देख नहीं पा रहे हैं. विपक्ष को माफी मांगनी चाहिए. आज मतपेटियां लूटने वालों को करारा जवाब मिला है.
यह भी पढ़ें: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इटली की PM जॉर्जिया मेलोनी को किया फोन, क्या हुई बात?
कांग्रेस ने किया पटलवार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इसी टिप्पणी पर अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने पलटवार किया है. उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर निशाना साधते हुए लिखा, VVPAT को लेकर जिस याचिका को कल सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पक्षकार नहीं थी. फिर भी प्रधानमंत्री का कहना है कि VVPAT पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला विपक्ष के लिए करारा तमाचा है और हमें देश से माफी मांगनी चाहिए.
यह भी पढ़ें: कांग्रेस VVPAT के अधिक उपयोग को लेकर अभियान जारी रखेगी, सुप्रीम कोर्ट में हम पक्षकार नहीं थे: जयराम रमेश
'याद रहे कुछ हफ्ते...'
उन्होंने आगे कहा कि याद रहे कुछ हफ्ते पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार से भरे इलेक्टोरल बांड स्कीम को न केवल अवैध माना था, बल्कि उसे असंवैधानिक करार देकर प्रधानमंत्री को करारा तमाचा मारा था. माफी तो वास्तव में प्रधानमंत्री को मांगनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने एक ऐसी स्कीम के माध्यम से निम्न ‘चार तरीकों’ का इस्तेमाल करके पांच सालों में 8200 करोड़ रुपए का चंदा इकट्ठा किया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया है.
aajtak.in