देश की राजधानी दिल्ली में नए संसद भवन को बनाने की तैयारी जोरों पर चल रही है. इस सेंट्रल विस्टा परियोजना को लेकर केंद्र की तरफ 20 हजार करोड़ खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन जिसे केंद्र सरकार अपनी महत्वकांक्षी योजना बता रही है, उसी के कंस्ट्रक्शन पर रोक लगाने के लिए विपक्ष की तरफ से लगातार दवाब बनाया जा रहा है.
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर अब सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा बड़ा फैसला सुनाया जाएगा. सोमवार को ये साफ हो जाएगा कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का काम जारी रहने वाला है, या फिर कोरोना काल में इस पर रोक लगा दी जाएगी.
हाई कोर्ट सुनाएगा फैसला
बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जोर देकर कहा गया था कि कोरोना के दौर में किसी भी ऐसे प्रोजेक्ट को आगे बढ़ने की मंजूरी नहीं मिलनी चाहिए. याचिका में कहा गया कि एक परियोजना की वजह से कई लोगों की जान खतरे में आ रही थी. लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उस याचिका को ही खारिज करने की मांग कर दी थी.
दलील दी गई थी कि इस प्रोजेक्ट पर काम करने के दौरान सभी कोरोना प्रोटोकॉल्स का पालन किया जा रहा है. वहीं याचिकाकर्ता की नीयत पर सवाल उठाते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि जनहित बहुत ही सिलेक्टिव है, उन्हें दूसरे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे मजदूरों की कोई परवाह नहीं है, जो शायद इससे 2 किलोमीटर दूरी पर ही चल रहे हैं.
क्या होगा परियोजना का भविष्य?
अब सोमावार यानी की 31 मई को केंद्र की महत्वकांक्षी परियोजना का भविष्य तय हो जाएगा. जो नए संसद भवन का सपना देखा गया है, वो कब तक पूरा हो सकता है, ये हाई कोर्ट के फैसले पर निर्भर करने वाला है. दलील दोनों ही तरफ से रखी गई हैं, कोर्ट में भी तीखी बहस देखने को मिली है.
अब कोर्ट किसे सही मानता है, इस पर सभी की नजर रहने वाली है. वैसे जानकारी के लिए बता दें कि इसी परियोजना पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी. लेकिन तब कोर्ट ने साफ कर दिया था कि ये मामला जब हाई कोर्ट में लंबित है, ऐसे में वे इस पर कोई फैसला नहीं सुना सकते हैं.
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जमकर हुई राजनीति
वैसे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर कोर्ट में तो लड़ाई लड़ी ही जा रही है, इसके अलावा राजनीतिक गलियारों में भी काफी शोर है. ये एक ऐसा मुद्दा है जिस पर कांग्रेस और बीजेपी फिर आमने-सामने है. एक तरफ कांग्रेस जोर देकर कह रही है कि केंद्र को कोरोना जैसे मुश्किल दौर में भी प्रधानमंत्री के नए आवास की चिंता है, तो वहीं केंद्र भी आंकड़ों के जरिए अपनी बात रख रहा है. अब कौन कितना सही है, ये 31 मई को साफ हो जाएगा.
अनीषा माथुर