आम आदमी पार्टी नेता और पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन पिछले साल मार्च महीने से ही जेल में हैं और अब तक 14 महीने से ऊपर का वक्त जेल में गुजार चुके हैं. ताहिर हुसैन के खिलाफ दिल्ली हिंसा से जुड़े मामले में एक दर्जन एफआईआर दर्ज की गई है.
ताहिर हुसैन को कोर्ट ने उन दो एफआईआर में जमानत देने से इनकार कर दिया है जिसमें दो लोगों प्रमोद और प्रिंस बंसल को गोलियां लगीं थी. पुलिस ने इस मामले में इन दोनों के बयान भी दर्ज किए थे जिसमें हिंसा के लिए उन्होंने ताहिर हुसैन को जिम्मेदार ठहराया था.
कोर्ट ने पूर्व पार्षद की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए कहा है कि ताहिर हुसैन ने अपनी राजनीतिक शक्ति का दुरुपयोग हिंसा को भड़काने और सांप्रदायिक हिंसा फैलाने के लिए किंगपिन के तौर पर किया.
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कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इतने बड़े पैमाने पर की गई हिंसा पहले से की हुई सुनियोजित साजिश के बिना अंजाम नहीं दी जा सकती. ऐसे में ताहिर हुसैन की इस दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता कि शारीरिक रूप से उन्होंने किसी हिंसा में हिस्सा नहीं लिया. हिंसा कराने में उनकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
ताहिर हुसैन की तरफ से इस मामले में कोर्ट में दलील दी गई थी कि उनकी बीवी का ध्यान रखने के लिए घर पर कोई नहीं है और साथ ही उनके दोनों बच्चे नाबालिग हैं, जिनकी जिम्मेदारी उन पर है. ताहिर हुसैन की तरफ से कहा गया था कि उनको सिर्फ इस हिंसा के मामले में इसलिए फंसाया गया क्योंकि वह आम आदमी पार्टी के काउंसलर रहे हैं. हुसैन की दलील थी कि उन्हें राजनीतिक द्वेष के चलते फंसाया गया है. हालांकि कोर्ट ने ताहिर हुसैन की इस दलील को पूरी तरह से खारिज कर दिया.
पूनम शर्मा