दिल्ली: आम आदमी पार्टी ने अपने संविधान में क्या बड़े बदलाव किए, मनीष सिसोदिया ने बताया

पार्टी के संविधान में संशोधन के बारे में मनीष सिसोदिया ने कहा कि पार्टी के संविधान में ऐसे क्लॉज थे जो कि दिक्कत पैदा कर रहे थे. उसको और व्यावहारिक बनाने के लिए संविधान में मामूली संशोधन किए गए हैं.

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आम आदमी पार्टी ने अपने संविधान में बदलाव किया है (फाइल फोटो) आम आदमी पार्टी ने अपने संविधान में बदलाव किया है (फाइल फोटो)

पंकज जैन

  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 12:29 PM IST
  • आम आदमी पार्टी के संविधान में किए गए हैं बदलाव
  • पार्टी अन्य राज्यों में भी करना चाहती है विस्तार
  • अपनी ही पार्टी की पब्लिक में आलोचना करने की मनाही

आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के संविधान में हुए संशोधन की घोषणा कर दी है. मनीष सिसोदिया ने बताया कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आम आदमी पार्टी के संविधान में कुछ सुधार किया गया है. उन्होंने कहा कि 'पिछले 9 साल के अनुभव के आधार पर यह देखने में आया है कि हमारे कुछ संविधान के नियम पार्टी के आगे बढ़ने में व्यावहारिक दिक्कत पैदा कर रहे थे. खासकर उन राज्यों में जहां पार्टी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है'

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पार्टी के संविधान में संशोधन के बारे में मनीष सिसोदिया ने कहा कि "पार्टी के संविधान में ऐसे क्लॉज थे जो कि दिक्कत पैदा कर रहे थे. उसको और व्यावहारिक बनाने के लिए संविधान में मामूली संशोधन किए गए हैं".

AAP के संविधान में संशोधन कुछ इस तरह किए गए हैं. 'पार्टी के संविधान में जिक्र था कि पार्टी की प्राइमरी यूनिट बूथ स्तर पर होगी. अब यह तय किया गया है कि पार्टी की प्राथमिक यूनिट जिला स्तर की यूनिट को माना जाएगा. कई अलग राज्यों में जो एमपी और एमएलए चुनाव जीतकर आएंगे वे पार्टी की नेशनल काउंसिल के सदस्य होंगे. जिन राज्यों के वे एमपी-एमएलए हैं, वे वहां की स्टेट काउंसिल के सदस्य भी बन जाएंगे.''  ये संविधान में एक बदलाव किया गया है, ताकि पार्टी के चुने हुए लोग पार्टी को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकें.'

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''अभी तक नियम था कि किन्हीं भी कारणों से किसी के जाने, मृत्यु हो जाने या पार्टी में बदलाव होने की वजह से अगर बीच में ही जिला, राज्य, राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में कोई पद खाली होता है, तो संविधान के मुताबिक उसको तब तक नहीं भरा जा सकता था जब तक कि अगले चुनाव ना हों. ऐसे में अगले चुनाव की व्यवस्था तक वह पद खाली रहता है. लेकिन अब संविधान में संशोधन करके ये निर्णय लिया गया है कि नेशनल एग्जीक्यूटिव या राज्य के मसलों पर स्टेट एग्जीक्यूटिव अंतरिम रूप से उस पद पर किसी व्यक्ति को नियुक्त कर सकेगी, जब तक कि अगला चुनाव ना हो जाए.''

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आम आदमी पार्टी में ये भी बदलाव किया गया है कि पार्टी के सदस्यों को इस बात की पूरी अनुमति होगी कि वो पार्टी के फोरम पर पार्टी, सदस्यों के व्यवहार के बारे में, पार्टी के नेतृत्व के बारे में अपने कुछ भी पॉइंट रख सकते हैं. लेकिन पब्लिक डोमेन में विचार रखने की मनाही होगी. पार्टी से जुड़े विचार पब्लिक डोमेन की बजाय पार्टी के फोरम पर रखे जाएं, उन विचारों का पार्टी में स्वागत रहेगा.''

पार्टी ने ये भी तय किया है कि ''नेशनल काउंसिल की बैठक वीडियो कांफ्रेंस के जरिए भी की जा सकती है. क्योंकि महामारी के दौरान किसी भी तरह की बैठक कराने पर पाबंदियां थीं, इसलिए अगर कभी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बैठक कराने की जरूरत पड़ी तो नेशनल काउंसलिंग या स्टेट काउंसलिंग की बैठक मान्य मानी जाएगी.''

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आम आदमी पार्टी के मुताबिक पार्टी में ऐसे लोग भी जुड़ना चाह रहे हैं जो पहले से किसी पार्टी के साथ में हैं, निर्दलीय रूप से चुनाव लड़े हैं, परिवार के और लोग लड़े हैं. पार्टी के संविधान में था कि किसी भी परिवार से एक ही व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है. पार्टी के पहले से जो सदस्य हैं उन पर यह नियम लागू रहेगा. लेकिन पार्टी में कुछ लोग ऐसे जुड़ना चाहते हैं जिनके परिवार के दो सदस्य भी चुनाव लड़ चुके हैं. वे चाहते हैं कि वे पार्टी में आकर जुड़ें. ऐसे लोगों को भी अब पार्टी अवसर दे रही है. अगर उनके परिवार का सदस्य चुनाव में हिस्सा लेना चाहते हैं तो उनके लिए पार्टी का दरवाजा खोल दिया गया है.

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