छत्तीसगढ़: अंग्रेजी स्कूलों के बाहर तांता, हिन्दी स्कूलों को बच्चों का इंतजार

देश के प्रमुख हिन्दी भाषी राज्यों में से एक छत्तीसगढ़ में हिन्दी के प्रति खत्म होते रुझान को लेकर लोग चिंता में है छत्तीसगढ़ में हिन्दी मीडियम के 50 फीसदी से ज्यादा स्कूलों में छात्रों ने दाखिला नहीं लिया. नतीजतन सीटें खाली रह गईं. दूसरी ओर इंग्लिश मीडियम के स्कूलों में दाखिले के लिए छात्रों का तांता लगा हुआ है.

Advertisement
छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़

सुनील नामदेव

  • रायपुर,
  • 03 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 7:04 PM IST

देश के प्रमुख हिन्दी भाषी राज्यों में से एक छत्तीसगढ़ में हिन्दी के प्रति खत्म होते रुझान को लेकर लोग चिंता में है छत्तीसगढ़ में हिन्दी मीडियम के 50 फीसदी से ज्यादा स्कूलों में छात्रों ने दाखिला नहीं लिया. नतीजतन सीटें खाली रह गईं. दूसरी ओर इंग्लिश मीडियम के स्कूलों में दाखिले के लिए छात्रों का तांता लगा हुआ है. अभिभावक अपने बच्चों के एडमिशन के लिए जोर आजमाइश में जुटे हुए हैं. कांग्रेस ने राज्य की बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया है कि हिन्दी स्कूलों के प्रति उसकी लापरवाही के चलते यह हालत हुई है. अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में देश के गिने-चुने हिन्दी भाषी राज्यों में से एक राज्य और कम हो जाएगा.

Advertisement

एक मार्च को राज्य के सरकारी स्कूलों में दाखिले की सूची शिक्षा विभाग को प्राप्त हुई है. इस सूची में जो ब्यौरा दर्शाया गया है वो हिन्दी भाषा को लेकर राज्य में बन रहे नए समीकरणों की ओर इशारा कर रहा है. दुर्ग, राजनांदगांव, रायपुर, धमतरी, महासमुंद, बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़ और अंबिकापुर ऐसे इलाके है जहां हिन्दी का दबदबा रहा है. लेकिन क्या ग्रामीण और क्या शहरी इलाके हालांकि इन तमाम जगहों के सरकारी स्कूलों में हिन्दी भाषी छात्रों ने अंग्रेजी माध्यमों के स्कूलों में पढ़ना ही पसंद किया है. इस रिपोर्ट में एक भी सरकारी स्कूल ऐसा नहीं है जहां 50 फीसदी से ज्यादा सीटें भर पाई हों.

हिन्दी भाषी स्कूलों में छात्र हो रहे कम
छत्तीसगढ़ के तमाम हिन्दी भाषी स्कूलों में साल दर साल छात्रों की संख्या कम ही होती जा रही है. शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद सरकार ने भरपूर कोशिश की है कि स्कूलों में अधिक से अधिक दाखिला हो. इसके लिए छात्र-छात्राओं को मुफ्त शिक्षा, छात्रवृति, मुफ्त ड्रेस, मुफ्त में साइकिल और मध्यान्न भोजन तक मुहैया कराया जा रहा है. इसके बावजूद सरकारी स्कूलों में ना तो छात्रों ने दाखिला लिया और ना ही अभिभावकों ने अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजने के प्रति दिलचस्पी दिखाई. इसके चलते राज्य भर के तमाम सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक के क्लासरूम छात्रों से आधे भी नहीं भर पाए.

Advertisement

नई रिपोर्ट से सभी हैरान
नए शैक्षणिक सत्र में दाखिले की एक मार्च को आई रिपोर्ट सभी को हैरत में डालने वाली है. इसके अनुसार शहरी इलाकों में तो मात्र 22 फीसदी छात्रों ने दाखिला लिया है. जबकि ग्रामीण इलाकों में दाखिले का औसत बमुश्किल 40 फीसदी रहा है. हिन्दी भाषी स्कूलों की स्थिति को लेकर लोग सोचने पर मजबूर हैं. खासतौर पर वैसे लोग जो हिन्दी को महत्व देते हैं. आम बोलचाल में हिन्दी का इस्तेमाल पसंद करते हैं. हिन्दी भाषी इस राज्य में हिंदी की बेरुखी को लेकर कांग्रेस ने राज्य की बीजेपी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

कांग्रेस अध्यक्ष ने गुणवत्ताविहीन पढ़ाई को वजह बताया
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के मुताबिक सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता विहीन पढ़ाई शिक्षकों की कमी और असुविधा के चलते हिन्दी का पतन हो रहा है. उधर मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी साफ कर दिया है कि अब उनकी सरकार की प्राथमिकता हिन्दी नहीं बल्कि अंग्रेजी ही है. उनके मुताबिक एक बड़ी आबादी अंग्रेजी में दिलचस्पी ले रही है. इसलिए सरकार अपने कुछ स्कूलों को इंग्लिश मीडियम बनाने की तैयारी कर रही है. इसके मद्देनजर कई इलाकों में DAV स्कूल खोले जा रहे हैं. इसमें अंग्रेजी मुख्य भाषा बनाई गई है.

Advertisement

30 फीसदी हिन्दी शिक्षकों की है कमी
छत्तीसगढ़ के शहरी और ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक, माध्यमिक और हायर सेकेंडरी स्कूलों की कुल संख्या 47808 है. इन स्कूलों में शिक्षकों की संख्या 2,34,005 है. जिसमें 54000 पद रिक्त पड़े हैं. इनमें से लगभग 30 फीसदी पद हिन्दी शिक्षकों के हैं जो सालों से रिक्त पड़े हैं. स्कूल शिक्षा विभाग ने विधानसभा में जानकारी दी है कि हाई स्कूल में प्राचार्य के 1938 पदों में से 1341 पद खाली हैं.
वहीं हायर सेकेंडरी स्कूलों के 2380 स्वीकृत पदों में 926 प्राचार्य के पद रिक्त पड़े हैं. ऐसे में शिक्षा का अधिकार कानून का दम निकलना लाजमी है. हालांकि सरकार की दलील है कि मौजूदा दौर में अंग्रेजी विषय को लेकर छात्रों की दिलचस्पी बढ़ी है. इसके चलते ऐसे हालात बने हैं. हालांकि सरकार के मुखिया रमन सिंह का दावा है कि हिन्दी के संरक्षण के लिए सरकार गंभीर है.

हिन्दी भाषी राज्य में भी संकट
देश के कुछ हिन्दी भाषी राज्यों में छत्तीसगढ़ भी एक है. यहां लोगों की आम भाषा हिन्दी ही है. यह भाषा यहां सबसे अधिक बोली और लिखी जाती है. अधिकांश सरकारी काम काज हिन्दी में ही होता है. हालांकि इस बीच राज्य में हिन्दी का दम निकलने लगा है. राज्य में सिर्फ सरकारी स्कूलों में ही हिन्दी पढ़ाई होती है. जबकि इंग्लिश मीडियम स्कूलों में हिन्दी ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में पढ़ाई-लिखाई जाती है. भाषाई तौर पर सबसे अधिक लिखी और पढ़ी जाने वाली हिन्दी अब संकट में है.

Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement