छत्तीसगढ़ में मोबाइल टावर लगवाने के लिए निजी मोबाइल कंपनियों को 600 करोड़ रुपये दिए जाने के प्रस्ताव पर लगी कैबिनेट के मुहर लगाए जाने के बाद, राज्य की बीजेपी सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है.
राज्य सरकार ने ऐलान किया था कि वो प्रदेश भर के लोगों को स्मार्ट फोन बांटेगी. इसके लिए मोबाइल कंपनियों को उनका नेटवर्क बढ़ाने और नए मोबाइल टावर लगाने के लिए निर्देशित भी किया गया था.
ये कंपनियां प्रतिस्पर्धा के चलते नए ग्राहकों से जुड़ने के लिए अपने खर्च पर मोबाइल टावर लगाने के लिए तैयार भी हो गई थीं, लेकिन मंगलवार को मुख्यमंत्री रमन सिंह की कैबिनेट ने सरकारी खर्च पर मोबाइल टावर लगाने का फैसला ले लिया. इसके लिए 600 करोड़ की स्वीकृति पर भी कैबिनेट की मुहर लग गई. इस फैसले को विपक्ष ने खुला भ्रष्टाचार करार दिया है.
छत्तीसगढ़ सरकार की कैबिनेट की बैठक में मंगलवार को यह बड़ा फैसला लिया गया है. सरकार ने 14वें वित्त आयोग के मद में केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि मे से 600 करोड़ रुपये मोबाइल कंपनियों को देने का फैसला किया, जिन कंपनियों को ये राशि दी जाएगी उनमें निजी कंपनियां भी शामिल हैं.
दरअसल राज्य सरकार ने 3 सालों में 55 लाख मोबाइल बांटने का फैसला किया था और इन मोबाइल को कनेक्टिविटी देने के लिए नए टावर लगाने में ये राशि खर्च की जाएगी. योजना का ऐलान करते समय सरकार ने विधानसभा में कहा था कि कनेक्टिविटी देने के लिए मोबाइल कंपनियां अपने खर्च पर टावर स्थापित करेंगी लेकिन अपने फैसले को पलटते हुए कैबिनेट की बैठक में सरकार ने अपने खर्च पर टावर लगाने का फैसला किया है.
14वें वित्त आयोग की राशि ग्राम पंचायतों के विकास के लिए सीधे पंचायतों को दी जाती है. इस मद को मोबाइल टावर स्थापित करने में खर्च किया जाना नियमों के उलंघन के दायरे में आता है. 14वें वित्त आयोग की रकम से अभी तक देश प्रदेश में गांव के मूलभूत विकास काम ही होते आए हैं. इसकी गाइडलाइंस में मोबाइल टावर कनेक्टिविटी संबंधी कोई उल्लेख नहीं है. ऐसे में सरकार का यह फैसला कितना कारगर होगा यह तो वक्त ही बताएगा. छत्तीसगढ़ में लगभग 20 हजार ग्राम पंचायत हैं. इस लिहाज से लगभग प्रत्येक ग्राम पंचायत के विकास के हिस्से की 30 लाख रुपये की राशि मोबाइल टावर लगाने में खर्च की जाएगी.
बताया जा रहा है कि मोबाइल कंपनियों को टावर स्थापित जा रहे राशि करने के लिए दिए का कैबिनेट की बैठक में कई मंत्रियों ने तीखा विरोध किया. मंत्रियों ने दलील दी कि 14वें वित्त आयोग की राशि खर्च करने के लिए केंद्र सरकार से मापदंड निर्धारित कर रखी है. उससे अलग हटकर राशि खर्च नहीं की जा सकती, हालांकि बहुमत के आधार पर कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी. कांग्रेस ने इस फैसले का तीखा विरोध किया है. पार्टी महासचिव रमेश वार्लियानी ने इसे सार्वजनिक भ्रष्टाचार करार देते हुए अदालत में चुनौती देने का ऐलान किया है.
सुनील नामदेव