छत्तीसगढ़ में 25 जून को राज्य भर के पुलिसकर्मियों के परिजनों के प्रस्तावित महाधरने के ऐलान के बाद राज्य का गृह विभाग पुलिसकर्मियों और उनके परिजनों के ब्रेनवाश में जुट गया है. इस धरने को स्थगित करने के लिए पुलिस के आला अधिकारी और प्रशासन जोर शोर से जुटे हुए हैं. राज्य के गृहमंत्री ने पुलिसकर्मियों और उनके परिजनों को समझाने बुझाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.
दरअसल वेतन बढ़ाने और छुट्टियों समेत सुविधाओं की दस सूत्रीय मांग को लेकर पुलिसकर्मी सरकार के रवैये से नाखुश हैं, लेकिन वो कायदे कानून से बंधे हुए हैं और इसके चलते वो आम सरकारी कर्मचारियों की तरह धरना प्रदर्शन नहीं कर सकते. लिहाजा उन्होंने अपनी मांगों के समर्थन में अपने परिजनों को मैदान में उतार दिया है. पुलिसकर्मियों के परिजनों ने मंगलवार को दुर्ग जिला मुख्यालय में सरकार की नीतियों के खिलाफ धरना दिया. उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार ने पुलिसकर्मियों की अनदेखी की तो 25 जून को पुलिसकर्मियों का परिवार राज्य के सभी 27 जिलों में महाधरना देगा.
छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने कहा है कि राज्य सरकार पुलिसकर्मियों की सभी बुनियादी जरूरतों को संवेदनशीलता और सहृदयता के साथ पूर्ण कर रही है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रमन सिंह के नेतृत्व में सरकार नक्सल मोर्चे पर तैनात पुलिस जवानों के साथ-साथ प्रदेश के अन्य जिलों में पदस्थ पुलिसकर्मियों के लिए भी आवश्यक सुविधाओं में वृद्धि कर रही है और उन्हें हर संभव बेहतर से बेहतर सुविधाएं दी जा रही हैं.
पुलिसकर्मियों के लिए 15 दिनों का विशेष आकस्मिक अवकाश
पैकरा ने पुलिसकर्मियों को दी जाने वाली इन सुविधाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि राज्य शासन द्वारा पुलिस कर्मचारियों की लगातार कठिन और चुनौतीपूर्ण ड्यूटी को ध्यान में रखकर उन्हें एक महीने का अतिरिक्त वेतन भी दिया जा रहा है. साथ ही उनके लिए 15 दिनों के विशेष आकस्मिक अवकाश का भी प्रावधान किया गया है, जो शासन द्वारा दिए जाने वाले विभिन्न अवकाशों से अलग है. इसे केवल पुलिस कर्मचारियों को ही दिया जाता है. पुलिसबल को आधुनिक संसाधनों से भी सुसज्जित किया जा रहा है, ताकि वे अपनी ड्यूटी और भी प्रभावी ढंग से कर सकें.
गृहमंत्री पैकरा ने बताया कि राज्य गठन के बाद प्रदेश में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल सहित जिला पुलिसबलों में आरक्षक से लेकर उप- पुलिस अधीक्षक संवर्ग तक कुल 48 हजार 477 रिक्त पदों की पूर्ति भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से की गई है. वर्तमान में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल में 1786 और जिला पुलिस 2259 यानि कुल 4045 रिक्त पदों के लिए भर्ती की कार्यवाही की जा रही है. अब तक जिला पुलिसबलों में आरक्षक से लेकर निरीक्षक संवर्ग तक कुल 9083 और अन्य संवर्गों में कुल 547 पुलिसकर्मियों को सामान्य क्रम के अनुसार पदोन्नति दी जा चुकी है. इनके अलावा 500 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को पुलिस रेग्युलेशन पैरा-70 के प्रावधानों के अनुसार क्रम से पहले पदोन्नत किया गया है.
राज्य सरकार ने दी नक्सल क्षेत्र भत्ते की स्वीकृति
गृहमंत्री पैकरा ने कहा कि पुलिस कर्मचारियों को सेवा में आगे बढ़ने के लिए एक निश्चित और समयबद्ध अवसर देने के उद्देश्य से दस वर्ष सेवा पर प्रथम उच्चतर वेतनमान और बीस वर्ष की सेवा पर द्वितीय उच्चतर वेतनमान (Second highest pay scale) देने का भी प्रावधान किया गया है.
उन्होंने बताया कि नक्सल विरोधी अभियान में छत्तीसगढ़ पुलिस की महत्वपूर्ण और सराहनीय भूमिका को देखते हुए राज्य सरकार ने 17 जुलाई 2009 को उनके लिए संवेदनशील और अतिसंवेदनशील क्षेत्रों के आधार पर क्रमशः 20 प्रतिशत और 15 प्रतिशत मासिक नक्सल क्षेत्र भत्ते की स्वीकृति दी गई थी, जिसे 09 अक्टूबर 2015 को बढ़ाकर अतिसंवेदनशील क्षेत्रों के लिए 50 प्रतिशत, संवेदनशील क्षेत्रों के लिए 35 प्रतिशत और सामान्य क्षेत्रों के लिए 15 प्रतिशत कर दिया गया.
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने 10 जनवरी 2006 से आरक्षक संवर्ग से निरीक्षक स्तर तक के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में हर महीने 650 रुपये के राशन भत्ते का भी प्रावधान किया है. इसके अलावा 9 अक्टूबर 2015 से बस्तर के सभी सात जिलों और जिला राजनांदगांव के 9 थाना क्षेत्रों में जिला पुलिस बल और सशस्त्र बल सहित सहायक आरक्षकों और गोपनीय सैनिकों के लिए दो हजार रुपये के मासिक राशन भत्ते की भी मंजूरी दी गई है. इसके साथ ही एसटीएफ के पुलिस जवानों के लिए 2200 रुपये प्रति माह की दर से राशन भत्ते का प्रावधान किया गया है. उनके मुताबिक पुलिसकर्मियों के बस्तर भत्ते में भी वृद्धि कर 25 लाख रुपये का सामूहिक बीमा विशेष अनुदान दिया गया है.
पैकरा ने बताया- बस्तर राजस्व संभाग (डिविजन) के पुलिस कर्मचारियों के लिए 23 जुलाई 2013 से बस्तर भत्ते में वृद्धि की गई है. इसके अंतर्गत वर्तमान में विभिन्न श्रेणियों के कर्मचारियों को 350 रुपये से 600 रुपये तक मासिक बस्तर भत्ता मिल रहा है. पैकरा ने कहा कि राज्य सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कर्तव्य निर्वहन के दौरान शहीद होने वाले पुलिस के बहादुर अधिकारियों और जवानों के परिवारों की आर्थिक सुरक्षा के लिए भी सजग है. ऐसे शहीदों के परिवारों को सरकार की ओर से दी जाने वाली सामूहिक बीमा विकल्प विशेष अनुदान योजना 2008 के अनुसार दस लाख रुपये का भुगतान किया जाता था, जिसे दो सितंबर 2013 से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया गया है.
शहीद पुलिस अधिकारियों और जवानों के पढ़ने वाले बच्चों के लिए एकमुश्त 40 हजार रुपये दिए जाते हैं. उनके मुताबिक शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों को 15 लाख रुपये का विशेष अनुग्रह अनुदान दिया गया है.
परमीता शर्मा / सुनील नामदेव