छत्तीसगढ़: फूलों की खेती बर्बाद, किसानों ने सरकार से मांगा मुआवजा

छत्तीसगढ़ में इस हप्ते कई इलाकों में अत्यधिक बारिश होने से फूल उत्पादक किसानों की कमर टूट गई है. आमतौर पर फूल उत्पादक किसानों की माली हालत बेहतर मानी जाती है, लेकिन हफ्तेभर की बारिश ने इन किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है.

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छत्तीसगढ़ में फूलों की खेती बर्बाद छत्तीसगढ़ में फूलों की खेती बर्बाद

सुनील नामदेव

  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 5:45 PM IST

छत्तीसगढ़ में मौसमी फल और सब्जियों का उत्पादन करने वाले किसान सूखे के चलते मुआवजे की मांग कर रहे थे इस फेहरिस्त में अब फूल उत्पादक किसान भी शामिल हो गए हैं, हालांकि ये किसान मॉनसून के जाने के बाद हुई मूसलाधार बारिश का शिकार हुए हैं. छत्तीसगढ़ में इस हप्ते कई इलाकों में अत्यधिक बारिश होने से फूल उत्पादक किसानों की कमर टूट गई है.

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आमतौर पर फूल उत्पादक किसानों की माली हालत बेहतर मानी जाती है, लेकिन हफ्तेभर की बारिश ने इन किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है. गेंदा और गुलाब के पौधे अत्यधिक बारिश में सड़-गल गए हैं. यहां तक कि उनमें मौसमी कीड़े भी लग गए. अब ऐसी फसलों को पूरी तरह से नष्ट कर नए सिरे से पौधे लगाने के सिवा किसानों के सामने और दूसरा विकल्प नजर नहीं आ रहा है.

छत्तीसगढ़ में मॉनसून की विदाई 12 अक्टूबर तक होती है लेकिन लौटते मॉनसून में 14 दिन के भीतर इतनी बारिश हुई कि बीते दस सालों का रिकॉर्ड टूट गया. दीपावली के दिन हुई जबरदस्त बारिश से फूलों के पौधों को जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ा. भारी भरकम पानी की तेज बूंदों से पौधे झुक कर टूट गए. मौसम विभाग के मुताबिक राज्य के ज्यादातर हिस्सों में इस दिन 62.06 मिलीमीटर तक बारिश दर्ज की गई, जो कि सामान्य से कही ज्यादा है.

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मौसम विशेषज्ञ डॉ. प्रकाश खरे के अनुसार बंगाल की खाड़ी और तटीय इलाकों में लगातार सिस्टम बनने के चलते समुद्र में आई नमी से छत्तीसगढ़ में बारिश के हालात बने हैं. उनके मुताबिक ओडिशा के तटीय इलाकों में चक्रवात भी बन रहा है. इससे इस माह के आखरी तक बारिश के आसार हैं.

छत्तीसगढ़ में गुलाब और गेंदे के फूलों की बहुतायत मात्रा में पैदावार होती है. पड़ोसी राज्यों के अलावा देश के कई प्रसिद्ध मंदिरों के फूलों के कारोबारी यहां से फूलों की खेप ले जाते हैं. आने वाले महीने में शादी के सीजन होने के चलते यहां के किसानों को लाखों का ऑर्डर मिला था और कई किसानों ने तो एडवांस तक ले लिया था लेकिन मॉनसून के रुख में अचानक आए बदलाव ने उन्हें मुसीबत में डाल दिया है.

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