छत्तीसगढ़: 28 दिन बाद खत्म हुआ सिलगेर में आदिवासी ग्रामीणों का प्रदर्शन, CRPF कैंप बनने से थे नाराज

छत्तीसगढ़ के सिलगेर में आदिवासी बीते 28 दिनों से प्रदर्शन कर रहे थे. उनकी मांग थी कि मौके से सीआरपीएफ का कैंप मौके से हटा दिया जाए. ग्रामीणों का दावा था कि कैंप, उनकी जमीन पर बन रहा है.

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मुख्यमंत्री के दखल के बाद ग्रामीणों ने वापस लिया आंदोलन. मुख्यमंत्री के दखल के बाद ग्रामीणों ने वापस लिया आंदोलन.

रवीश पाल सिंह

  • सिलगेर,
  • 13 जून 2021,
  • अपडेटेड 5:05 AM IST
  • CRPF कैंप बनने से नाराज थे ग्रामीण
  • हजारों की संख्या में कैंप को ग्रामीणों ने घेरा
  • सुरक्षाबलों की फायरिंग में 3 गंवा चुके हैं जान

छतीसगढ़ के सिलगेर में बीते 28 दिनों से चल रहा आदिवासी ग्रामीणों का प्रदर्शन आखिरकार समाप्त हो गया. 12 मई को यहां सीआरपीएफ का कैम्प बना, जिसका स्थानीय ग्रामीण आदिवासियों ने विरोध शुरू कर दिया. आदिवासी ग्रामीणों का आरोप था कि जिस जगह पर कैम्प बन रहा है, वो ग्रामीणों की जमीन है. 

कैम्प के पास ही गांव वालों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए धरना शुरू कर दिया. 17 मई को आंदोलन के दौरान जब हजारों की संख्या में सिलगेर कैम्प को आदिवासियों ने घेर लिया तो सुरक्षबलों की फायरिंग में तीन लोगों की मौत हो गई. आंदोलनकारियों ने मरने वालों को ग्रामीण बताया तो सुरक्षाबलों ने मरने वालों की पहचान नक्सलियों के रूप में की. 

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नक्सली पहचान जुड़ने के बाद यह आंदोलन और तेज हो गया. जो आंदोलन गांव की जमीन पर कैम्प को लेकर शुरू हुआ था, उसमें अब निर्दोष गांववालों की हत्या को लेकर भी लोगो में गुस्सा था. धरना जारी रखने के लिए आदिवासी ग्रामीण राशन पानी लेकर धरनास्थल पर डंटे हुए थे. धीरे-धीरे आंदोलन में शामिल होने वाले आदिवासियों की संख्या बढ़कर करीब 10 हजार तक पहुंच गई. 

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सीएम को देना पड़ा दखल
आंदोलन को खत्म कराने बस्तर के आईजी, कमिश्नर, कलेक्टर और एसपी स्तर के वरिष्ठ अधिकारी भी सिलगेर पहुंचे पर बात नहीं बनी. छतीसगढ़ सरकार ने ग्रामीणों को समझाने बस्तर के 5 विधायक को सांसद दीपक बैज के नेतृत्व में भी भेजा. ग्रामीणों ने सीधे मुख्यमंत्री से चर्चा करने की मांग रखी थी. अंत में आंदोलनरत ग्रामीणों के एक डेलिगेशन ने सीएम से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बात की तब जाकर आंदोलन खत्म हुआ. 

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घटना की होगी मजिस्ट्रियल जांच!
आंदोलन को लीड कर रहे नेताओं का मानना था कि आंदोलन में बढ़ते कोरोना केस और बारिश की वजह से आंदोलन को विराम दिया जा रहा है. आंदोलन खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीजापुर और सुकमा जिले की सीमा पर स्थित सिलगेर में हुई घटना को दुर्भाग्यजनक करार देते हुए कहा कि यह परिस्थितिजन्य घटना थी, इस घटना की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं.  

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