छत्तीसगढ़ में बिलासपुर हाईकोर्ट ने निचली अदालतों में जमानत को लेकर जारी रस्साकसी पर विराम लगा दिया है. राज्य की सभी जिला अदालतों में जमानत के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया था. इस स्थिति में सैकड़ों जमानतदारों को रोजाना परेशानी झेलनी पड़ रही थी.
आधार कार्ड को जमानत के लिए अनिवार्य किये जाने का निर्देश भी हाई कोर्ट के प्रशासनिक मुख्यालय से जारी हुआ था. अब एक याचिका दायर होने पर उसकी लम्बी सुनवाई के बाद गुरुवार को हाईकोर्ट ने इस फैसलों को रद्द कर दिया. इसके साथ ही निचली अदालतों में जमानत को लेकर जारी गतिरोध खत्म होने के आसार है. सैकड़ों की तादाद में ऐसे पक्षकार है, जिनके पास आधार कार्ड नहीं होने के चलते उनके नाते रिश्तेदार जमानत पर रिहा नहीं हो पाए. आधार कार्ड को अनिवार्य बनाये जाने का मामला लोगों के लिए मुसीबत बन गया था.
बिलासपुर हाई कोर्ट ने जमानत के लिए आरोपियों और जमानतदार के आधार कार्ड की कॉपी की अनिवार्यता को खत्म कर दी है. गुरुवार को जस्टिस प्रशांत मिश्रा की एकल पीठ ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की पुनर्विचार याचिका पर इस आशय के आदेश दिए. पहले कोर्ट ने जमानत चाहने के लिए आरोपी साथ जमानतदार के आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया था. अधिवक्ता पियूष भाटिया ने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की थी.
विशेष अनुमति याचिका में उन्होंने दलील दी थी कि आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर संविधान पीठ अभी भी सुनवाई कर रही है, ऐसे में इसकी अनिवार्यता उचित नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर को इस मामले में दस दिन के भीतर निराकरण करने के निर्देश दिए थे. आखिरकर जस्टिस प्रशांत मिश्रा की एकल पीठ ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद आधार कार्ड की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है. इसके बदले जमानत के लिए आईडी और अन्य प्रमाणित दस्तावेज अदालत के समक्ष रखने के निर्देश दिए हैं.
अंकुर कुमार / सुनील नामदेव