बिहारः सीट शेयरिंग पर NDA में लुका-छुपी, BJP से कुशवाहा की बातचीत बेनतीजा

उपेंद्र कुशवाहा चाहते हैं कि बिहार में एनडीए की सरकार बनने के बाद उनकी पार्टी को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया, उसकी भरपाई लोकसभा चुनाव में उन्हें तीन सीटें देकर हो सकती है.

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बिहार बीजेपी प्रभारी भूपेंद्र यादव और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा (फोटो-ट्विटर हैंडल) बिहार बीजेपी प्रभारी भूपेंद्र यादव और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा (फोटो-ट्विटर हैंडल)

हिमांशु मिश्रा / वरुण शैलेश

  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 6:57 PM IST

राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जब से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष अमित शाह, बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने घोषणा की है कि दोनों दल लोकसभा चुनाव में समान सीटों पार चुनाव लड़ेंगे तब से बिहार की राजनीति में खलबली मच हुई है.

अमित शाह ने यह भी कहा था कि बिहार में एनडीए के बाकी दो सहयोगी दलों को भी सम्मानजनक सीटें दी जाएंगी. नीतीश कुमार और अमित शाह की सीट बंटवारे की घोषणा के बाद राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) उपेंद्र कुशवाहा ने नाराजगी के चलते आरजेडी नेता तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच लोकसभा चुनाव और बिहार की राजनीति पर चर्चा हुई थी.

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सीटों पर उपेंद्र कुशवाहा का दावा

केंद्रीय मंत्री और आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार बीजेपी के प्रभारी और पार्टी महासचिव से बिहार में सीट शेयरिंग पर बात की. सूत्रों के मुताबिक उपेंद्र कुशवाहा ने भूपेन्द्र यादव से कहा कि उनकी पार्टी को 2014 में गठबंधन में तीन सीटें मिली थीं जिन पर पार्टी को जीत मिली थी. उपेंद्र कुशवाहा ने ये भी कहा कि 2014 के बाद पिछले साढ़े चार सालों में उनकी पार्टी का जनाधार न सिर्फ बिहार में बढ़ा है बल्कि देश के अन्य कई राज्यों में भी उसका असर बढ़ा है. इसलिए वो 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के लिए तीन सीटें चाहते हैं.

बीजेपी का जवाब

वहीं भूपेंद्र यादव ने कहा कि बिहार में एनडीए में जेडीयू भी नए घटक दल के तौर पर जुड़ा है. ऐसे में सभी सहयोगियों को जेडीयू के लिए कुछ सीटों का नुक़सान उठाना पड़ेगा. मतलब साफ़ है कि सबको 2014 की तुलना में 2019 के लोकसभा चुनाव में कम सीटों पर चुनाव लड़ना पड़ेगा.

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इसके जवाब में उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि ये ठीक है अगर कोई नहीं नया घटक दल आता है तो सबको थोड़ा-थोड़ा नुक़सान होता है, लेकिन जब फ़ायदा होता है तो उसे सबको मिलना चाहिए. मगर जब बिहार में एनडीए को फायदा मिला तो उनकी पार्टी को इसका लाभ नहीं मिला. मतलब साफ है कि उपेंद्र कुशवाहा ने इशारों इशारों में कह दिया कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में एनडीए की सरकार बनी तो बीजेपी और एलजेपी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया, लेकिन उनकी पार्टी को बाहर रखा गया था.

सूत्रों की मानें तो अब उपेंद्र कुशवाहा चाहते हैं कि बिहार में एनडीए की सरकार बनने के बाद उनकी पार्टी को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया, उसकी भरपाई लोकसभा चुनाव में उन्हें तीन सीटें देकर हो सकती है.

सूत्रों की मानें तो बीजेपी शायद उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को तीन सीट देने के मूड में नहीं है. लेकिन दीपावली के बाद बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार में उनकी पार्टी को शामिल किया जा सकता है.

तू डाल-डाल तो मैं पात-पात की रणनीति

अभी तक बिहार में सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत पूरी भी नहीं हुई है और उपेंद्र कुशवाहा ने मध्य प्रदेश में 66 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है. साथ ही यह भी कहा है कि आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश में कुछ और उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करेंगे. उपेंद्र कुशवाहा बीजेपी के साथ तू डाल-डाल तो मैं पात-पात की रणनीति पर बातचीत कर रहे हैं. यानी गठबंधन मजबूती के लिए नहीं बल्कि मजबूरी के लिए होता है.

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