सर्वे में बिहार के 6 गंदे शहर, लालू बोले- का हो नीतीश, ये भी मेरी गलती है

एक ओर साफ शहर में इंदौर का नाम है तो दूसरी ओर गंदे शहरों में शीर्ष पर पटना है. रैंकिंग में पटना 47वें नंबर पर है. स्वच्छता सिटी सर्वे में पटना का स्कोर 1552.11 है.

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लालू यादव लालू यादव

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 5:35 PM IST
  • स्वच्छता सर्वे में पटना सबसे गंदा शहर
  • लालू, तेजस्वी का सरकार पर निशाना
  • लालू ने सीएम नीतीश से पूछा सवाल

पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने सबसे गंदे शहरों में छह बिहार के होने को लेकर नीतीश सरकार पर तंज कसा है. लालू यादव ने कहा कि क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी इसके लिए भी मुझे दोषी करार देंगे.

असल में, केंद्र सरकार ने स्वच्छता सिटी सर्वे रिपोर्ट को जारी की है. इसमें लगातार चौथे साल इंदौर, देश का सबसे स्वच्छ शहर बना रहा. दूसरे नंबर पर गुजरात का सूरत और तीसरे नंबर पर नवी मुंबई सफाई के मामले में आगे रहे. एक ओर साफ शहर में इंदौर का नाम है तो दूसरी ओर गंदे शहरों में शीर्ष पर पटना है. रैंकिंग में पटना 47वें नंबर पर है. स्वच्छता सिटी सर्वे में पटना का स्कोर 1552.11 है.

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इसी रिपोर्ट पर लालू यादव ने ट्वीट किया, 'का हो नीतीश-सुशील? इसका दोष हमें नहीं दोगे क्या? शर्म तो नहीं आ रही होगी इस कथित सुशासनी और विज्ञापनी सरकार के लोगों को??' लालू यादव के ट्वीट में 10 गंदे शहरों का एक ग्राफ है जिसमें छह शहर अकेले बिहार के शामिल हैं. बिहार के गंदे शहरों में गया, बक्सर, भागलपुर, परसा बाजार और सहरसा शामिल हैं.

लालू यादव की तरह उनके बेटे तेजस्वी यादव ने भी ट्वीट कर नीतीश सरकार पर निशाना साधा. तेजस्वी यादव ने ट्वीट में लिखा, देश में पटना को गंदगी में नंबर-1 स्थान मिलने पर 15 वर्षों के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी को कोटि-कोटि बधाई. चलिए 15 वर्षों में कहीं तो नंबर-1 स्थान प्राप्त किया.

बता दें कि बिहार में गंदगी का आलम यह है कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों में गंगा नदी का पानी साफ दिख रहा था लेकिन पटना में ऐसा बिल्कुल भी नहीं था. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से गंगा के पानी की जांच करवाई गई तो पता चला कि लॉकडाउन से पहले गंगा का पानी नहाने के लायक भी नहीं था. हालांकि अब यह संभव हो गया है. लेकिन पानी इतना साफ नहीं हुआ है कि इसे पीने में इस्तेमाल किया जा सके.

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