बिहार महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. आरजेडी और जदयू नेताओं के बयान आपस में खींचतान के बड़े संकेत दे रहे हैं. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक अलग ही मोड में देखे जा रहे हैं. बिहार की राजनीति को करीब से समझने वाले सियासी जानकार भी नहीं बता पा रहे हैं कि आखिर नीतीश कुमार का गेम प्लान क्या है? क्योंकि नीतीश कुमार को लेकर बिहार में अलग-अलग तरह की अफवाहें हैं. क्या नीतीश कुमार एक बार फिर एनडीए का हिस्सा होंगे? इस बीच, बुधवार को दो घटनाक्रमों ने सियासी चर्चाओं को और तूल दे दिया.
सबसे पहले राष्ट्रीय लोक जनता दल (RLJP) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा का बयान आया. उन्होंने दावा किया कि जेडीयू में टूट होने वाली है. भले ही एक साथ टूट ना हो... टुकड़ों-टुकड़ों में हो, लेकिन टूट निश्चित है. कुछ ही देर बाद जेडीयू के बड़े नेता और पूर्व विधान परिषद के सदस्य रणवीर नंदन ने पार्टी से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया. उन्होंने JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को पत्र लिखा और पार्टी के प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिए जाने की घोषणा की. पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को भेजी.
'2 अक्टूबर को अपनी पूरी बात रखूंगा'
बता दें कि रणवीर नंदन पहले ही कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक साथ आना चाहिए, जिसके बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया था. अब अचानक उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देकर बड़े सियासी संकेत दे दिए हैं. इस्तीफे के बाद पूर्व एमएलसी रणवीर नंदन ने आजतक से बातचीत में कहा, मैंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. मेरा मानना है कि देश हित में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक साथ आना चाहिए. 2 अक्टूबर को लाल बहादुर शास्त्री जयंती के दिन में मीडिया के सामने पूरी बात रखूंगा.
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जेडीयू बोली- रणवीर नंदन को पार्टी से निकाला
वहीं, जेडीयू ने दावा किया कि रणवीर नंदन को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण निष्कासित किया गया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने 6 साल के लिए निष्कासित किया है. इस संबंध में जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष की तरफ से लेटर जारी किया गया है.
'आरजेडी के साथ आने से दूरी बना रहे कार्यकर्ता'
उन्होंने कहा, मेरे इस्तीफे के 2 घंटे बाद पार्टी ने निष्कासन का आदेश जारी किया. पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार देश के सबसे अच्छे नेताओं में हैं. G-20 के दौरान दोनों की एक साथ तस्वीर आने पर जेडीयू के कार्यकर्ताओं ने खुशी जताई थी. सोशल मीडिया पर सबने अच्छे कमेंट किए. मैंने भी कहा कि देशहित में दोनों को साथ आना चाहिए. जेडीयू में काम करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं की इज्जत नहीं है. नीतीश कुमार ने आज तक किसी से तल्ख लहजे में बात नहीं की. ललन सिंह के बात करने का अंदाज ठीक नहीं है. किसी को छोटा समझना ठीक नहीं है. जेडीयू के आरजेडी के साथ आने के बाद कार्यकर्ता दूर हो रहे हैं.
'अंदरखाने RJD से अलग होने की उठ रही आवाजें'
दरअसल, महागठबंधन में शामिल होने के बाद जेडीयू नेताओं में अंदरखाने असंतुष्ट होने होने की लगातार खबरें आती रही हैं. जेडीयू के कुछ नेता अंदरखाने आरजेडी से अलग होकर काम करने की आवाज उठा रहे हैं. हालांकि, किसी नेता ने ऑफिशियल बातचीत करने से इंकार किया है. वहीं, नीतीश के पुराने सहयोगी भी आरजेडी के साथ जाने को तैयार नहीं हैं. यही कारण है कि पहले हिंदुस्तान आवाम पार्टी के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने साथ छोड़ा और एनडीए में शामिल हो गए. उसके बाद उपेंद्र कुशवाहा भी एनडीए का हिस्सा बन गए हैं.
'जेडीयू में टूट होना निश्चित है'
बुधवार को उपेंद्र कुशवाहा ने बड़ा बयान भी दिया. उन्होंने कहा, सुशील मोदीजी ने उनकी (नीतीश) स्थिति के बारे में जो कुछ कहा है, वो बिल्कुल सही कहा है. जेडीयू के अंदर बिल्कुल सब लोग कहीं ना कहीं संपर्क में बने हुए हैं. जेडीयू में भले एक बार में टूट ना हो.. टुकड़ों-टुकड़ों में टूट हो... लेकिन टूट होना निश्चित है. इसमें कहीं कोई शंका नहीं है.
'जेडीयू और बिहार भविष्य आरजेडी के साथ नहीं'
नीतीश के विपक्षी गठबंधन की अगुवाई करने के सवाल पर उपेंद्र ने कहा, नीतीशजी गलतफहमी के शिकार हो गए हैं. उनके बयानों से ऐसा लग रहा है. नीतीशजी ने जब से आरजेडी के नेतृत्व में चलना शुरू किया है, तब से उनकी पार्टी (JDU) ही समाप्त है. उनका जनाधार उनके साथ नहीं है. ऐसी स्थिति में नीतीशजी जो भी दावा करें, उसका कोई मतलब नहीं. क्या बिहार में आरजेडी के साथ जेडीयू का भविष्य नहीं है? इस पर उपेंद्र कहते हैं कि बिल्कुल भविष्य नहीं है. आरजेडी के साथ ना तो नीतीशजी की पार्टी का भविष्य है और ना बिहार का भविष्य है. ये बात हम बार-बार बोलते आ रहे हैं.
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सुशील मोदी ने क्या कहा था...
राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने एक बयान में कहा, जेडीयू के अधिकांश विधायक और सांसद चाहते हैं कि नीतीश कुमार बीजेपी से गठबंधन कर लें और बिहार में एनडीए सरकार बन जाए. जेडीयू के लोग ऑफर लेकर आते रहते हैं कि नीतीश कुमार को राज्यपाल बना दीजिए. लेकिन हम लोग नीतीश कुमार को राज्यपाल या कुछ भी नहीं बनाएंगे. नीतीश के पास एक वोट की भी क्षमता नहीं है. नीतीश कुमार अब आरजेडी और कांग्रेस को डरा रहे हैं कि अगर हमें भाव और सम्मान नहीं दिया तो मैं बीजेपी के साथ चला जाऊंगा. मैं यह कहना चाहता हूं कि डरने की जरूरत नहीं है. नीतीश के लिए बीजेपी का दरवाजा बंद है.
'नीतीश कुमार ने NDA में लौटने से किया इनकार'
बता दें कि सोमवार को सीएम नीतीश कुमार ने दीनदयाल उपाध्याय जयंती कार्यक्रम पहुंचकर बड़ा सरप्राइज दिया था. इसके सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं. हालांकि, नीतीश कुमार ने एनडीए में लौटने से इनकार किया है. नीतीश ने दीन दयाल उपाध्याय की जयंती पर बीजेपी के खिलाफ हमला बोला. एक सवाल के जवाब में नीतीश ने कहा, मुझे नहीं पता कि दीन दयाल उपाध्याय की जयंती पर आयोजित समारोह में इस बार बीजेपी नेता क्यों उपस्थित नहीं हुए हैं? नीतीश के साथ डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी थे. हालांकि, सीएम के जाने के तुरंत बाद बीजेपी नेता वहां पहुंचे. प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने आरोप लगाया कि हमें 'समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया था.'
'वाजपेयी और जेटली को सम्मान देते हैं नीतीश कुमार'
बताते चलें कि नीतीश ना सिर्फ पंडित दीनदयाल उपाध्याय, बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के सम्मान में कार्यक्रमों में भाग लेते रहे हैं. कहा जाता है कि नीतीश कुमार इन नेताओं को बहुत सम्मान देते हैं. भले ही वो अब बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा नहीं हैं.
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'नीतीश ने खुद को पीएम मैटेरियल कहे जाने पर असहमति जताई'
कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कई विपक्षी नेता और पार्टियां सोची-समझी रणनीति के तहत कदम उठा रही हैं. इन दलों के नेता भले बीजेपी के खिलाफ हैं, उसके बावजूद आरएसएस के साथ संबंध बनाए हुए हैं. जब पत्रकारों ने हल्के-फुल्के अंदाज में नीतीश से पूछा कि क्या वो एनडीए में वापसी की योजना बना रहे हैं? इस पर उन्होंने नाराजगी जताई और कहा, क्या फालतू बात करते हैं. यह सुनकर पास खड़े तेजस्वी मुस्कुरा दिए. नीतीश ने विपक्षी अलायंस की भविष्य की योजनाओं पर पूछे गए सवालों का जवाब दिया और अपनी पार्टी के नेताओं द्वारा उन्हें 'PM मैटेरियल' कहे जाने पर असहमति जताई.
'नीतीश के फिर एनडीए में शामिल होने के कयास'
बताते चलें कि विशेष रूप से मीडिया का एक वर्ग यह अनुमान लगा रहा है कि नीतीश कुमार एक बार फिर एनडीए का हिस्सा हो सकते हैं. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार ने जिस विपक्षी एकता की कवायद की थी, उसकी कांग्रेस पूरी तरह से कांग्रेस ने अपने हाथ में ले ली है. ऐसे में नीतीश कुमार अंदरखाने विपक्षी गुट की रणनीति से दूरी बनाए हुए हैं. राजनीतिक जानकार यह भी कहते हैं कि विपक्षी I.N.D.I.A अलायंस में संयोजक नहीं बनाए जाने से नीतीश कुमार नाखुश हैं. यही वजह है कि उन्होंने हाल ही में नई दिल्ली में जी-20 कार्यक्रम में राष्ट्रपति के डिनर में हिस्सा लिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात की तस्वीरें सामने आई थीं. नीतीश के साथ झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को भी देखा गया था.
'जेडीयू में भी अंदरखाने मचा है घमासान'
एक दिन पहले ही जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और मंत्री अशोक चौधरी के बीच खूब नोकझोंक हुई थी. खास बात ये रही कि यह सब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आंखों के सामने होता रहा. इस लड़ाई के बाद नीतीश कुमार की खूब किरकिरी हो रही है. बिहार में अब इस लड़ाई की चर्चा हो रही है. हालांकि दोनों नेताओं के बीच ये लड़ाई क्यों हुई, वो वजह अभी सामने नहीं आई है.
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बीजेपी का दावा, जेडीयू में होगी टूट
मंत्री अशोक चौधरी और ललन सिंह की लड़ाई पर बीजेपी ने बड़ा दावा किया है. बीजेपी के विधायक और पूर्व मंत्री नीरज कुमार बबलू ने दावा किया कि जेडीयू में बहुत जल्द टूट होने वाली है. जदयू दो गुटों में बंट चुकी है. ललन सिंह की तेजस्वी यादव से नजदीकियां बढ़ी हैं. जेडीयू में टूट होने के बाद ललन सिंह के साथ कुछ विधायक आरजेडी में चले जाएंगे. इसलिए जेडीयू में आपसी लड़ाई हो रही है. ये लोग अपनी-अपनी साख बचाए रखने मे लगे हुए हैं. अभी की जो मौजूदा सरकार है वो लूट के चक्कर में लगी हुई है.
अशोक चौधरी से प्यार है: नीतीश
बता दें कि बीते दिनों जब नीतीश कुमार का मंत्री अशोक चौधरी की गर्दन पर हाथ रखकर धक्का देने का वीडिया सामने आया था तो उन्होंने इस पर सफाई दी थी. नीतीश ने अशोक चौधरी को गले लगाते हुए कहा था कि उन्हें अशोक चौधरी से बहुत प्यार है.
(इनपुट- पटना से शशि भूषण कुमार)
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