बिहार में एक अप्रैल से ई-वे बिल की शुरुआत कर दी गई. पटना के सचिवालय सभागार में इसका शुभारंभ करते हुए उपमुख्यमंत्री सह-वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि आज से पूरे देश में 50 हजार से अधिक मूल्य के मालों के अंतरराज्यीय परिवहन के लिए ई-वे बिल की व्यवस्था लागू हो गई है. तीन सप्ताह के बाद देश के राज्यों के अंदर मालों के परिवहन के लिए भी इस व्यवस्था को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा. पिछले साल जीएसटी लागू होने के बाद 1 जुलाई से पूरे देश से चेक पोस्ट हटा दिए गए थे. अब ई-वे बिल के जरिए मालों के परिवहन से टैक्स चोरी की गुंजाइश खत्म होगी.
सुशील मोदी ने कहा कि जीएसटी काउंसिल की पिछली बैठक में ई-वे बिल के प्रावधान में दर्जन से ज्यादा संशोधन किए गए हैं. फिलहाल सर्वर से प्रतिदिन 75 लाख तक ई-वे बिल जबकि आने वाले दिनों में रोजाना एक करोड़ तक जेनरेट होगा. उन्होंने कहा कि पांच साल से बिहार में लागू 'सुविधा' का ई-वे बिल के जरिए सरलीकरण हो गया है. कारोबारियों व ट्रांसपोर्टर्स को अब फॉर्म में 25 की जगह मात्र 9 फील्ड ही भरने होंगे. कागज के फॉर्म भरने का झंझट जहां खत्म हो गया है वहीं कंप्यूटर के अलावा मोबाइल एप्लीकेशंस के जरिए भी ई-वे बिल आसानी से जेनरेट किया जा सकेगा.
उन्होंने कारोबारियों व ट्रांसपोर्टर्स से अपील करते हुए कहा कि बिना ई-वे बिल के वे माल का परिवहन नहीं करें क्योंकि जीएसटी व्यवस्था के अंतर्गत गड़बड़ी करके कोई बच नहीं सकता है. जांच के लिए जगह-जगह आवश्यकतानुसार अधिकारी तैनात किए जाएंगे और पकड़े जाने पर टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी.
सुशील मोदी ने कहा कि बिहार में कुल 3.25 लाख कारोबारी जीएसटी के तहत निबंधित हैं, इनमें नियमित करदाता 2.35 लाख हैं. कम्पोजिट स्कीम में 90 हजार लोग निबंधित हैं लेकिन वे अपेक्षा से कम कर का भुगतान कर रहे हैं. टर्न-ओवर कम दिखाकर टैक्स चोरी ना करें वर्ना सरकार हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होगी. साथ ही उन्होंने अपील की कि सभी निबंधित कारोबारी समय से रिटर्न जमा करें.
परमीता शर्मा / सुजीत झा