केरल में अब्दुल से मिली थी यास्मीन, उसी ने कहा था IS में शामिल होने

यास्मीन की गिरफ्तारी दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा से उसके पांच साल के बेटे जुनैद के साथ हुई. यास्मीन के पुस्तैनी गांव मोरौल में उसके घर पर ताला लटका है और पूरा गांव इस खबर को सुनकर हैरान है.

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यास्मीन को दिल्ली से किया गया गिरफ्तार यास्मीन को दिल्ली से किया गया गिरफ्तार

स्‍वपनल सोनल / सुजीत झा

  • पटना,
  • 04 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 12:28 AM IST

पांच वक्त की नमाजी और कंप्यूटर एक्सपर्ट यास्मीन मोहम्मद जाहिद उर्फ यास्मीन शेख की गिरफ्तारी से सीतामढ़ी जिले स्थि‍त उनके गांव के सभी लोग स्तब्ध हैं. 28 साल की यास्मीन बाजपट्टी थाना क्षेत्र के मोरौल गांव की रहने वाली हैं. उन्हें दिल्ली में उस वक्त गिरफ्तार कर लिया गया, जब वो आतंकी संगठन आईएस में शामिल होने काबुल जा रही थीं.

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यास्मीन की गिरफ्तारी दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा से उसके पांच साल के बेटे जुनैद के साथ हुई. यास्मीन के पुस्तैनी गांव मोरौल में उसके घर पर ताला लटका है और पूरा गांव इस खबर को सुनकर हैरान है. यास्मीन केरल के कोल्लम में पीस इंटरनेशनल में शिक्षिका भी रह चुकी हैं. केरल में रहने के दौरान ही उनकी मुलाकात कासरगोड के अब्दुल रशीद अब्दुल्लाह से हुई.

दो साल पटना में भी रह चुकी हैं यास्मीन
रशीद अभी काबुल में है और उसी के कहने पर यास्मीन आईएस में शामिल होने काबुल जा रही थी. केरल से 21 लोग पहले से ही लापता हैं. बताया जा रहा है कि ये सभी पहले ही आईएस में शामिल हो चुके हैं. यास्मीन भी पिछले महीने से केरल से बाहर रह रही थीं. यास्मीन पटना में 2009 से 2011 तक रह चुकी हैं. यास्मीन पटना के लोहानीपुर और फुलवारीशरीफ मुहल्ले में किराए के मकान में रहती थी.

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पटना से बनवाया था पासपोर्ट
यास्मीन 2003 में पटना के पासपोर्ट कार्यालय से यास्मीन जाहिद के नाम पर पासपोर्ट (एन6920081) भी बनाई थी. वो पटना में एक निजी कंपनी में काम भी करती थी. यास्मीन की दिल्ली से गिरफ्तारी के बाद से बिहार पुलिस अपना मुंह तो नहीं खोल रही, लेकिन उनके होश ठिकाने जरूर लग गए हैं. बिहार पुलिस यास्मीन को लेकर और अधिक सुराग जुटाने में लग गई है.

मई महीने में आई थी अपने गांव
दूसरी ओर, यास्मीन के गांव में उसके परिवार वाले भी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. काफी कुरेदने के बाद यास्मीन के चाचा साबिर मोहम्मद का कहना है कि उससे उन लोगों का कोई लेना देना नहीं है. यास्मीन के चाचा का यह भी कहना था कि बीते मई महीने में पासपोर्ट बनाने के सिलसिले में वो गांव आई थी.

गांव के मुखिया सुबोध कुमार का कहना है कि वो एक बार उनसे मिल चुकी है और धर्म के प्रति काफी जागरुक थी. उन्होंने कहा कि यास्मीन ने प्रखंड कार्यालय परिसर में नमाज भी अदा की थी. साथ ही वह लैपटॉप पर भी कुछ कर रही थी.

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